मदरसों की फंडिंग को लेकर एनसीपीसीआर को एससी से झटका

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 29, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

मदरसों की फंडिंग को लेकर एनसीपीसीआर को एससी से झटका

-एससी ने की एनसीपीसीआर की मांग खारिज, मदरसों को मिलती रहेगी फंडिंग, सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित नही होंगे बच्चे

दिल्ली/शिव कुमार यादव/- सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार संस्था एनसीपीसीआर की सिफारिशों पर सोमवार को रोक लगा दी। ऐसे में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करने वाले मदरसों को भी राज्य से मिलने वाली फंडिंग जारी रहेगी। साथ ही, एससी ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने के संबंध में एनसीपीसीआर की सिफारिश खारिज कर दी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आज इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। इस दौरान एससी ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों को भी सुना, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के संचार और कुछ राज्यों की परिणामी कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है।

मुस्लिम संगठन ने यूपी और त्रिपुरा सरकारों के निर्देश को दी चुनौती
मुस्लिम संगठन ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों के उस निर्देश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि इस साल 7 जून और 25 जून को जारी एनसीपीसीआर के संचार पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्यों के परिणामी आदेश भी स्थगित रहेंगे। एससी ने मुस्लिम संस्था को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी अपनी याचिका में पक्ष बनाने की अनुमति दी।

एनसीपीसीआर का क्या है इस मामले पर तर्क
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बीते दिनों कहा था कि उन्होंने मदरसों को बंद करने के लिए कभी नहीं कहा। बल्कि, उन्होंने इन संस्थानों को सरकार की ओर से दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगाने की सिफारिश की क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।
           कानूनगो ने कहा कि गरीब पृष्ठभूमि के मुस्लिम बच्चों पर अक्सर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के बजाय धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए दबाव डाला जाता है। उन्होंने कहा कि वह सभी बच्चों के लिए शिक्षा के समान अवसरों की वकालत करते हैं।
            दरअसल, एनसीपीसीआर ने एक हालिया रिपोर्ट में मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई थी। इस आधार पर एक्शन लेने की मांग की गई। हालांकि, इस रिपोर्ट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। सत्तारूढ़ भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया गया।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox