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  • सावधान बच्चों के जीवन से हो रहा खिलवाड़, बचपन का मोटापा जवानी में बनता बिमारियों का कारण

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    सावधान बच्चों के जीवन से हो रहा खिलवाड़, बचपन का मोटापा जवानी में बनता बिमारियों का कारण

    -बच्चों के जीवन में हार्ट अटैक, थॉयराईड, शूगर और कैंसर का बढ़ता खतरा, बच्चों को सिखाएं 7 अच्छी आदतें

    सेहतनामा/शिव कुमार यादव/- बच्चों के मोटापे को तंदरूस्ती से जोड़कर बखान करना बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करना है। यह बात हम नही अब तो चिकित्सक भी कहने लग गए हैं। हाल ही में अमेरिकन जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल की एक स्टडी पब्लिश हुई है। स्टडी के मुताबिक, कम उम्र में मोटापे का शिकार बच्चों में युवावस्था आने तक हार्ट डिजीज संबंधी जोखिम 2 से 3 गुना तक बढ़ जाते हैं। इसमें यह भी सामने आया कि मोटे बच्चों में हाइपरटेंशन और ऑर्गन फेल्योर के चांसेज भी ज्यादा होते हैं। चिकित्सकों का मानना है कि बचपन में बच्चों के मोटापे को अनदेखा ना करे और बच्चों हार्ट अटैक, थायराईड, डायबिटिजीट और कैंसर जैसी बिमारियों से बचाने के लिए उन्हे अच्छी आदतें सिखाएं। आईय हम आपकों 7 ऐसी अच्छी आदते बताते है जिनसे आपका बच्चा हमेशा तंदरूस्त बना रहेगा।  

    दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हार्ट डिजीज के कारण होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में हो रही मौतों के टॉप 10 कारणों की एक लिस्ट बनाई है। इसमें टॉप 4 कारण हार्ट रिलेटेड डिजीज से हैं। ज्यादातर हार्ट डिजीज के लिए लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियां जिम्मेदार हैं। इसमें भी मोटापा, हाइपरटेंशन और डाइबिटीज जैसी बीमारियां प्रमुख वजह हैं।

    आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि बचपन के मोटापे का वयस्क उम्र में क्या असर पड़ता है। साथ ही जानेंगे कि –
    -कम उम्र में मोटापे के क्या कारण हो सकते हैं?
    -इससे कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
    -इन बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है?

    दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है मोटापा
    बीते कुछ सालों में मोटापा सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है। इसने पूरी दुनिया में समान रूप से पैर फैलाए हैं। इसके आगे क्या रंग, क्या जाति, क्या भारत, क्या पाकिस्तान। लेकिन इस बीमारी के इसी तरीके ने फिक्र बढ़ा दी है। यह उम्र में भी कोई फर्क नहीं कर रहा है।
              पहले आमतौर पर वयस्कों और बुजुर्गों में मोटापा देखने को मिलता था। अब यह बच्चों में भी आम होता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (ॅभ्व्) के मुताबिक साल 2022 में दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के करीब 3.7 करोड़ बच्चे ओवरवेट थे। जबकि 5 से 19 साल के बीच करीब 39 करोड़ बच्चे ओवरवेट थे।

    मोटापे को एपिडेमिक मानता है डब्ल्यूएचओ
    साल 1990 से 2022 के बीच किशोरों में मोटापे के मामले चार गुना बढ़ गए। इस दौरान वयस्कों में भी ये मामले दुगुने हो गए। इस लाइफ स्टाइल डिजीज के इतनी तेजी से बढ़ते मामलों को देखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एपिडेमिक घोषित कर दिया है। इसका मतलब ऐसी बीमारी से है जो दुनिया की बड़ी आबादी को तेजी से अपनी चपेट में ले रही है।

    जानलेवा बीमारियों की वजह बन सकता है मोटापा
    मोटापा ऐसी लाइफ स्टाइल डिजीज है, जो कई जानलेवा बीमारियों की वजह बनता है। इससे हार्ट अटैक और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इससे और कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, आइए ग्राफिक में देखते हैं।

    छोटे बच्चों में मोटापे की क्या वजह है?
    छोटे बच्चों में मोटापे के पीछे जितने भी कारण हैं, उसके लिए बच्चों को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। क्योंकि उन्हें इस बात की समझ ही नहीं है कि वह जो कुछ भी कर रहे हैं, जो कुछ भी खा-पी रहे हैं या जैसी जिंदगी जी रहे हैं वह मोटेपे की वजह बन सकता है।

    बेबी फूड से बढ़ रहा मोटापा
    मार्केट में छोटे बच्चों के लिए बेबी फूड्स बिक रहे हैं। विज्ञापन में दिखाया जाता है कि डॉक्टर्स पैकेज्ड बेबी फूड रिकमेंड कर रहे हैं। पेरेंट्स टीवी पर इसे देखते हैं और अपने बच्चे के लिए बेबी फूड ले आते हैं। असल में इन फूड्स का न्यूट्रीशन प्रॉसेसिंग के दौरान बहुत कम हो जाता है। इसके बाद प्रिजर्वेंट्स के साथ मिलाए जा रहे फर्टिलाइजर्स बच्चों की गट हेल्थ खराब कर रहे हैं।

    सप्लिमेंट्स से बढ़ रहा वजन
    युवाओं में बॉडी मेंटेन करने और वेट गेन करने के लिए सप्लिमेंट्स खूब पॉपुलर हैं। अब छोटे बच्चों के लिए भी कई सप्लिमेंट्स बाजार में आ गए हैं। बच्चों का वजन कम होने पर डॉक्टर इन्हें सजेस्ट कर रहे हैं। इससे छोटे बच्चों का मेटाबॉलिक सिस्टम कमजोर हो रहा है। जो उनके ओवरवेट होने के लिए जिम्मेदार है।

    जंक फूड और फास्ट फूड
    घर में पेरेंट्स या बड़े जैसा खाना खाते हैं, बच्चे भी उनसे ही सीखकर अपना टेस्ट बड डेवलप करते हैं। चूंकि फास्टफूड्स ने लंच और डिनर तक की जगह ले ली है। पैकेट में आ रहे चिप्स, कुरकुरे और बिस्किट ने भी बहुत नुकसान किया है। इसमें मिले ऐडेड शुगर और ऐडेड सॉल्ट के कारण बच्चे ओवरवेट हो रहे हैं।

    लो फिजिकल एक्टिविटी
    पहले बच्चों के मनोरंजन का साधन खेल के मैदान होते थे। अब ये जगह मोबाइल फोन और दूसरे गैजेट्स ने ले ली है। स्कूल में बेटर परफॉर्मेंस और रिजल्ट के प्रेशर ने भी उन्हें खेल के मैदान से दूर कर दिया है। फिजिकल एक्टिविटी न करने से बच्चों के शरीर में फैट जमा हो रहा है, जो उनके ओवरवेट होने का बड़ा कारण है।

    हॉर्मोनल बदलाव
    जन्म से 20 साल की उम्र तक बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है। इस दौरान कई हॉर्मोन ज्यादा एक्टिव होते हैं। यह भी बच्चों के ओवरवेट होने का एक कारण है।

    एंग्जाइटी और डिप्रेशन
    छोटे बच्चों के तनाव को अक्सर इग्नोर कर दिया जाता है। जबकि उनके आसपास चीजें और माहौल तेजी से बदल रहे होते हैं। अगर वह उनके साथ कोप-अप नहीं पाते हैं तो यह तनाव और कई बार डिप्रेशन का कारण बनता है। यह भी लोवर एब्डॉमिनल मोटापे का कारण बनता है।

    कैसे मिलेगा मोटापे से छुटकारा
    दिल्ली के फिजिशियन डॉ. अकबर नकवी कहते हैं कि हमें बहुत जिम्मेदारी से पेरेंटिंग करनी चाहिए। हमारी गलतियां बच्चों के लिए भविष्य में बीमारियों की वजह बन सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि इन 7 बातों का माता-पिता ध्यान रखें-

    -बच्चों को हेल्दी लाइफ स्टाइल की आदत सिखाएं।
    -गैजेट्स की बजाय प्ले ग्राउंड में खेलने के लिए प्रेरित करें।
    -भोजन में हेल्दी और फाइबरयुक्त फूड्स शामिल करना सिखाएं।
    -टीवी या स्क्रीन देखते हुए खाना खाने की आदत न पड़ने दें।
    -प्रतिदिन 7 से 8 गिलास पानी पीने की अच्छी आदत जरूरी है।
    -रोजाना आधे घंटे फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें।
    -प्रतिदिन कम से कम 7 घंटे की भरपूर नींद लेने की आदत बनाएं।

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