• DENTOTO
  •  बटर चिकन और दाल मखनी का कौन आविष्कारक?,  अब तय करेगा दिल्ली हाईकोर्ट 

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 19, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

     बटर चिकन और दाल मखनी का कौन आविष्कारक?,  अब तय करेगा दिल्ली हाईकोर्ट 

    मानसी शर्मा / – बड़े चाव से खाए जाने वाले बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कार को लेकर दो बड़े रेस्टोरेंट आपस में भिड़ गए हैं। मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। मोती महल रेस्टोरेंट ने इन दो विश्व प्रसिद्ध व्यंजनों का श्रेय लेने के लिए प्रसिद्ध रेस्टारेंट दरियागंज पर मुकदमा दायर कर दिया है।

    विवाद टैगलाइन को लेकर

    पूरा विवाद टैगलाइन को लेकर है। मोती महल ने दिल्ली हाई कोर्ट में “Inventors of Butter Chicken and Dal Makhani” टैगलाइन को लेकर आपत्ति दाखिल की है। मोती महल के मालिकों ने हाईकोर्ट के समक्ष दावा किया है कि यह उनके दिवंगत संस्थापक शेफ कुंडल लाल गुजराल थे जिन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था और दरियागंज रेस्तरां यह कहकर लोगों को गुमराह कर रहा है कि दोनों व्यंजनों का अविष्कारक वो है। वादी ने यह दावा करने के लिए दरियागंज रेस्तरां के मालिकों पर मुकदमा दायर किया कि दरियागंज रेस्तरां और मोती महल के बीच एक संबंध है, जिसकी पहली शाखा पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में खोली गई थी।

    ये की गई मांग

    मोती महल के मालिकों ने दरियागंज रेस्तरां के मालिकों को यह दावा करने से रोकने की मांग की है कि उनके पूर्ववर्ती स्वर्गीय कुंदन लाल गुजराल इन दो व्यंजनों के आविष्कारक थे, जो अब विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। मांग की गई है कि दरियागंज रेस्तरां को इसकी वेबसाइट www.daryaganj.com और फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और ट्विटर सहित विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइटों तथा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक वाली टैगलाइन का उपयोग करने से रोका जाए।

    29 मई को होगी अगली सुनवाई

    जस्टिस संजीव नरूला ने हाल ही में दरियागंज रेस्तरां के मालिकों को एक समन जारी किया है। इस समन में रेस्तरां मालिकों से मुकदमे के जवाब में वादी के दस्तावेजों को स्वीकार या अस्वीकार करने के हलफनामे के साथ एक लिखित बयान दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होगी। बीते कई वर्षों से दोनों रेस्तरां दावा करते हैं कि उन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया है।

    मोती महल का ये कहना

    अपने मुकदमे में, मोती महल के मालिकों ने दावा किया है कि उनके रेस्तरां के संस्थापक स्वर्गीय गुजराल ने पहला तंदूरी चिकन बनाया और बाद में बटर चिकन और दाल मखनी बनाई। विभाजन के बाद इसे भारत लाए। उनका दावा है कि शुरुआती दिनों में, चिकन का जो हिस्सा बिकने से बच जाता था तो उसे रेफ्रिजरेशन में स्टोर नहीं किया जा सकता था और गुजराल को अपने पके हुए चिकन के सूखने की चिंता सताने लगी थी। वह चिकन को फिर से हाइड्रेट करने के लिए एक सॉस लेकर आए, इसी से बटर चिकन का अविष्कार हुआ। ऐसा दावा किया जाता है कि उनका आविष्कार ‘मखनी’ या बटर सॉस (टमाटर, मक्खन, क्रीम और कुछ मसालों के साथ एक ग्रेवी) था जो अब पकवान को तीखा और स्वादिष्ट स्वाद देता है। मोती महल ने अपने दावे में कहा, “दाल मखनी का आविष्कार बटर चिकन के आविष्कार के साथ बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने (गुजराल ने) काली दाल के साथ भी यही नुस्खा लागू किया और लगभग उसी समय दाल मखनी का अविष्कार किया गया।

    दरियांगज ने किया मोतीमहल के दावों का खंडन

    सुनवाई के दौरान दरियागंज रेस्तरां के वकील ने दावों का जोरदार विरोध किया और तर्क दिया कि मुकदमा गलत, निराधार है और इसमें कार्रवाई का कोई कारण नहीं है। वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादी किसी भी गलत प्रतिनिधित्व या दावे में शामिल नहीं हैं और मुकदमे में लगाए गए आरोप सच्चाई से कोसों दूर हैं। पेशावर में मोती महल रेस्तरां की एक तस्वीर के बारे में प्रतिवादी के वकील ने कहा कि इसे दोनों पक्षों के पूर्व संस्थापकों (मोती महल के गुजराल और दरियागंज के जग्गी) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox