
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/उत्तर प्रदेश/भावना शर्मा/- उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी बिसात पर अपनी जीत की चौसर बिछा दी हैं। जिसका तोड़ सपा व बसपा के बस की बात नही है। भाजपा यूपी में दोबारा सरकार बनाने के लिए अपने तमाम राजनीतिक एजेंडों के साथ जातिगत समीकरणों को भी बराबर साध रही है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अब तक घोषित 295 प्रत्याशियों में से तकरीबन 60 फीसदी टिकट ओबीसी और दलितों को दिए हैं। खास बात यह है कि भाजपा ने बसपा और सपा के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की जबरदस्त कोशिश भी की है। यही वजह है कि गैर जाटव दलितों और गैर यादव ओबीसी को भी टिकट दिए गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने अब तक 295 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है। इसमें से तकरीबन 58 फीसदी टिकट ओबीसी और दलितों को दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ गैर यादव पिछड़ों पर ही बड़ा दांव नहीं लगाया है बल्कि गैर जाटव दलितों को भी भाजपा में टिकट देकर साधा है। जिसमें 107 टिकट पिछड़ी जातियों को और 64 टिकट दलित वर्ग को दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी के घोषित टिकटों को अगर जातिगत समीकरणों के आधार पर बहुत बारीकी से समझे तो उसमें बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के एक बड़े तबके के कोर वोट बैंक को साधने की रणनीतिक कोशिश है। भारतीय जनता पार्टी में अब तक 97 टिकट गैर यादव ओबीसी को दिए हैं। इसमें 22 कुर्मी, 18 लोधी, 14 कुशवाहा, 5 सैनी, 4 निषाद और 2 कुम्हार शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने सुनार, पाल, राजभर, चौरसिया, कलवार, कश्यप और अलख जातियों के एक प्रत्याशी को भी मैदान में उतारा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने अब तक घोषित अपने टिकट में सात टिकट यादवों को भी दिए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक पीएन आर्य के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को 2017 में मिली बड़ी जीत में इन्हीं जाति विशेष के वोटरों का अहम योगदान रहा था। वह कहते हैं कि पिछड़ों को टिकट देने के मामले में वैसे तो सब सभी दल आगे आ रहे हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से केंद्र में हाल में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों को साधकर बड़ा संदेश दिया था। उसी राह पर उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव में इसी तरह से जातिगत समीकरणों के आधार पर टिकट बांट कर सत्ता की राह आसान करने की कोशिश मानी जा रही है।
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