नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/पश्चिमी बंगाल/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पश्चिम बंगाल में इस साल चुनाव होने हैं, ऐसे में राज्य में सियासी हलचलें काफी तेज हो चुकी हैं। ममता के सामने जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा यहां कमल खिलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। हालांकि ममता बनर्जी की राह आसान नहीं है क्योंकि उनके कई नेता उनसे और पार्टी से नाराज हैं। कुछ पार्टी का साथ छोड़कर जा चुके हैं तो कुछ आने वाले दिनों में पाला बदल सकते हैं। इस फेहरिस्त में नया नाम जुड़ा है सांसद शताब्दी रॉय का।
दरअशल, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद शताब्दी रॉय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पार्टी से अपनी नाराजगी बयां की है। अभिनेत्री से नेता बनीं रॉय ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, श्मुझसे लोग पूछ रहे हैं कि मैं पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिख रही हूं। मुझे अपने लोगों के साथ रहना पसंद है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो नहीं चाहते कि मैं आप सबके साथ रहूं। अक्सर मुझे कार्यक्रमों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है, मैं क्या कर सकती हूं?श्
कल दिल्ली जाएंगी रॉय, भाजपा में शामिल होने पर कही ये बात
शताब्दी रॉय शनिवार को दिल्ली भी जाने वाली हैं। हालांकि, उन्होंने अपने भाजपा में शामिल होने की अटकलों को विराम देने की कोशिश की। एएनआई के अनुसार रॉय ने कहा, श्मुझे टीएमसी में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। फेसबुक पोस्ट एकदम सही है और वह पोस्ट मैंने ही की थी। मैं कल दिल्ली जाऊंगी, लेकिन मैं दिल्ली जा रही हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भाजपा में शामिल हो रही हूं। मैं एक सांसद हूं और मैं दिल्ली जा सकती हूं।श्
टीएमसी सांसद ने मतदाताओं के नाम संदेश में लिखा कि उन्हें पार्टी के कुछ लोगों द्वारा नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। शताब्दी रॉय फैन क्लब नाम के फेसबुक अकाउंट पर अपलोड किए गए पोस्ट में उन्होंने कहा कि अगर मैं कोई निर्णय लेती हूं तो मैं इसे 16 जनवरी को दो बजे घोषित करूंगी। मैं काम करने की पूरी कोशिश करती हूं, यहां तक कि दुश्मन भी इसे स्वीकार करते हैं। इसलिए इस नए साल में मैं एक निर्णय लेने की कोशिश में हूं, ताकि मैं आपके साथ पूरी तरह से रह सकूं।
टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, बीरभूम की सांसद को 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जिले के पार्टी कार्यक्रमों में कभी-कभार ही देखा गया है। लोगों ने उन्हें आखिरी बार 28 दिसंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बीरभूम यात्रा के दौरान देखा था। मुख्यमंत्री ने रैली में रॉय को काफी महत्व दिया था और रैली में कई बार उनका नाम लिया था। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि रॉय के सत्तारूढ़ पार्टी के साथ लंबे समय से अच्छे रिश्ते नहीं हैं। वहीं स्थानीय नेता भी उनसे नाराज हैं।
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