
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बीजिंग/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जब से हाॅगकाॅग का नियन्त्रण चीन के कब्जे में आया है तब से चीन हाॅगकाॅग में नये-नये राजनीतिक प्रयोग कर अपनी दादागिरी दिखा रहा है ताकि हाॅगकाॅग पर पूरी तरह से नियन्त्रण रख सके। अब चीन ने हॉन्गकॉन्ग की चुनावी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए नया कानून पारित किया है जिसमें अब सिर्फ बीजिंग के प्रति ही भक्ति रखने वाले लोगों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति होगी। मंगलवार को ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हॉन्गकॉन्ग में चुनाव सुधार के प्लान पर साइन किए हैं। चीन के सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हॉन्गकॉन्ग की व्यवस्था में इस बड़े बदलाव की वजह यह है कि देशभक्त लोगों के जरिए ही स्थानीय निकायों का संचालन हो सके। इसके जरिए शहर की गवर्नेंस में खामियों को दूर किया जाएगा।
इस आदेश से दुनिया का फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले हॉन्गकॉन्ग पर चीन की दादागीरी न केवल बढ़ जायेगी बल्कि हाॅगकाॅग पर उसकी पकड़ भी मजबूत हो जायेगी। इस विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में अब ऐसे लोग ही चुनाव लड़ सकेंगे, जिनकी बीजिंग के प्रति आस्था हो। हॉन्गकॉन्ग में चीन के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। आलोचकों का कहना है कि इससे शहर में लोकतंत्र और विपक्ष का खात्मा हो जाएगा। इससे पहले हॉन्गकॉन्ग में चीन ने नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लागू किया था। इस कानून का भी तीखा विरोध हुआ था और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया गया था। दरअसल हॉन्गकॉन्ग में अपने विरोध की आवाजों को कुचलने के लिए चीन की ओर से तेजी से कानूनों में बदलाव किए जा रहे हैं और नए नियम लागू किए जा रहे हैं। 2019 में लागू हुए नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का तीखा विरोध हुआ था और हॉन्गकॉन्ग में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
मार्च की शुरुआत में ही चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने चुनाव सुधार के प्लान को मंजूरी दी थी। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक एनपीसी स्टैंडिंग कमिटी ने बहुमत से प्रस्ताव को पारित किया है। इस नए कानून के तहत हॉन्गकॉन्ग के संविधान में संशोधन हो जाएगा। नए कानून के मुताबिक हॉन्गकॉन्ग में चुनाव लड़ने वाले किसी भी शख्स की उम्मीदवारी की समीक्षा एक कमिटी की ओर से की जाएगी। इसके लिए इलेक्शन कमिटी बनाई जाएगी। यह कमिटी उम्मीदवारों की मॉनिटरिंग करेगी और नेशनल सिक्योरिटी अथॉरिटीज के साथ मिलकर काम करेगी ताकि देशभक्त उम्मीदवारों का चयन हो सके।
बता दें कि ब्रिटेन ने 1997 में हॉन्गकॉन्ग को चीन के हाथों में सौंप दिया था। इसके बाद वहां एक देश दो सिस्टम के सिद्धांत के तहत बेसिक लॉ तैयार किया गया था। इसके तहत चीन के मुख्य क्षेत्र के मुकाबले हॉन्गकॉन्ग में ज्यादा स्वायत्ता थी और लोगों को आजादी थी। हालांकि अब नए कानून के लागू होने के बाद स्थिति और बदल जाएगी।
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