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    सीएए लागू होने पर दिल्ली के मजनू का टीला पर जश्न

    -पाक शरणार्थियों ने मनाई होली, सांसद मनोज तिवारी ने की मुलाकात

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/ – आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून लागू कर दिया है। इस कानून का कई लोग समर्थन कर रहे हैं तो विपक्षी पार्टियां इसका पुरजोर विरोध भी कर रही हैं। हालांकि सीएए लागू होने पर दिल्ली के मजनू का टीला पर पाक शरणार्थियों में जश्न का माहौल दिखा। लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर इसका समर्थन किया। इसके साथ ही भाजपा सांसद मनोज तिवारी भी मजनू का टीला पर पाकिस्तानी शरणार्थियों के बीच पंहुचे और उनसे मुलाकात भी की।

                 नागरिकता संशोधन एक्ट लागू होने के बाद मजनू का टीला पर पाकिस्तानी शरणार्थी जश्न मना रहे हैं। यहां महिलाएं सीएए लागू होने के बाद एक दूसरे को रंग लगा रही हैं। होली से पहले महिलाएं एक दूसरे के साथ होली का पर्व मनाती हुईं नजर आ रही हैं।
              जबकि दूसरी तरफ सीएए लागू होने के बाद भाजपा सांसद मनोज तिवारी मजनू का टीला पहुंचे।  सीएए की अधिसूचना जारी होने के बाद दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों से मुलाकात की। उन्होंने उन्हें मकान देने का आश्वासन भी दिया। मुलाकात के दौरान पीड़ितों ने कहा कि हम मोदी को भगवान राम का अवतार मानते हैं।

    क्या है सीएए कानून
    गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-दस्तावेज गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की राष्ट्रीयता देने के लिए लाया गया है। गैर मुस्लिम प्रवासियों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई हैं।

    ये लोग ले सकते हैं नागरिकता
    नागरिकता अधिनियम, 1955 यह बताता है कि कौन भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है और किस आधार पर। कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता-पिता भारतीय हों या कुछ समय से देश में रह रहे हों, आदि। हालांकि, अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है। अवैध प्रवासी वह विदेशी होता है जोः (प) पासपोर्ट और वीजा जैसे वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करता है, या (पप) वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करता है, लेकिन अनुमत समय अवधि से अधिक समय तक रहता है।
              विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत अवैध प्रवासियों को कैद या निर्वासित किया जा सकता है। 1946 और 1920 अधिनियम केंद्र सरकार को भारत के भीतर विदेशियों के प्रवेश, निकास और निवास को विनियमित करने का अधिकार देते हैं।
             2015 और 2016 में, केंद्र सरकार ने अवैध प्रवासियों के कुछ समूहों को 1946 और 1920 अधिनियमों के प्रावधानों से छूट देते हुए दो अधिसूचनाएं जारी की थीं। ये समूह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई हैं, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इसका मतलब यह है कि अवैध प्रवासियों के इन समूहों को निर्वासित नहीं किया जाएगा।

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