नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया द्वारा विश्व मानक दिवस 2024 के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन माता राम रती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला और कृषक पर्यटन स्थल के संस्थापक राजेंद्र सिंह कुशवाहा के सहयोग से हुआ, जिसे संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने संचालित किया।
थीम और महत्व:
इस वर्ष की थीम “बेहतर दुनिया के लिए साझा दृष्टिकोण” पर केंद्रित थी, जिसमें स्वास्थ्य और कल्याण के मुद्दों को प्रभावी मानकों के माध्यम से संबोधित करने पर जोर दिया गया। मानकों के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में मानकों की प्रभावशीलता के बारे में आम जनता को जानकारी मिल सके।
मुख्य वक्तव्य और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत:
कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के संपादित वीडियो अंश प्रस्तुत किए गए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 22,300 से अधिक मानक लागू हैं और 94 प्रतिशत भारतीय मानकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ सुसंगत बनाया जा रहा है। इसके साथ ही, सह-आयोजक राजेंद्र सिंह कुशवाहा ने मुख्य अतिथियों का स्वागत किया, जिनमें प्रो. बिजोन कुमार मिश्रा (अंतर्राष्ट्रीय कंज्यूमर नीति विशेषज्ञ), डॉ. प्रसन्ना कुमार (प्राध्यापक, निफ्टम), डॉ. आर.के. भारती (संयुक्त निदेशक, एमएसएमई मंत्रालय) और रजनीश गोयनका (चेयरमैन, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम) शामिल थे।
मानकों की भूमिका पर चर्चा:
वेबिनार के दौरान व्यापार, आर्थिक विकास और उत्पाद विश्वसनीयता में मानकों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और बीआईएस अधिनियम, 2016 के कार्यान्वयन की भी समीक्षा की गई। इसके साथ ही, विनिर्माण क्षेत्र में गुणवत्ता मानकों का महत्व और वैश्विक बाजार में उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की आपूर्ति में भारतीय लघु और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) की क्षमता पर भी जोर दिया गया।
खाद्य प्रौद्योगिकी और उद्यमिता पर ध्यान:
कार्यक्रम में निफ्टम (राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान) में चलाए जा रहे खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता कार्यक्रम पर विशेष चर्चा की गई। इसमें बी.टेक, एम.टेक, पीएचडी और एमबीए जैसे उच्च शिक्षा और उद्यमिता प्रशिक्षण के पहलुओं को शामिल किया गया है। इसके अलावा, आलू उत्पादों में मूल्य संवर्धन की संभावना और छोटे तथा सूक्ष्म व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी वित्तपोषण की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।
सतत विकास और औद्योगिकीकरण:
इस कार्यक्रम के दौरान सतत विकास पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 9 पर चर्चा की गई। इस लक्ष्य का उद्देश्य है लचीला बुनियादी ढांचा बनाना, समावेशी और टिकाऊ औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देना और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
समापन:
आरजेएस पीबीएच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने मानकों के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया, ताकि एक बेहतर और स्वस्थ समाज के निर्माण में मदद मिल सके।
इस आयोजन ने भारत में प्रभावी मानकों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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