
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/साईंस/शिव कुमार यादव/- यूरेनस के उत्तरी गोलार्द पर गर्मियां आने वाली हैं. इस समय वहां पर कोहरे के बादल दिख रहे हैं. जिसकी तस्वीर आठ साल बाद स्पेस टेलिस्कोप ने ली है। ये तस्वीरें नासा ने 23 मार्च को जारी की हैं। इस नीले और बर्फीले ग्रह के मौसम की जांच करने के बाद नासा ने यह तस्वीरें जारी कीं।
नासा वैज्ञानिक कोहरे के इन बादलों को देखकर हैरान हैं। यूरेनस को सूरज एक चक्कर लगाने में 84 साल लगते हैं इसलिए वहां का मौसम जल्दी नहीं बदलता। एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटीज फॉर रिसर्च इन एस्ट्रोनॉमी के वाइस प्रेसीडेंट हीदी बी हमेल ने कहा कि अभी तक किसी इंसान ने इस ग्रह को ढंग से नहीं पढ़ा है। हमें और स्टडी करने की जरुरत है ताकि सौर मंडल के इस रहस्यमयी ग्रह को समझ सकें। यूरेनस की खोज 242 साल पहले हुई थी लेकिन तब से अब तक इस ग्रह के बारे में लोगों और वैज्ञानिकों को बहुत कम जानकारी है। इसकी चमकदार रोशनी के बारे में तो वैज्ञानिकों को पता भी नहीं था। यह खोज तो साल 1950 में हुई थी। वो भी तब जब टेलिस्कोपों में इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्टर्स लगाए गए।
अब जो तस्वीरें जारी हुई हैं, उन्हें देखकर लगता है कि यूरेनस का उत्तरी गोलार्द अब सूरज की तरफ घूम चुका है क्योंकि वो काफी चमकदार दिख रहा है। इससे पहले की तस्वीर वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट ने 1986 में ली थी जो रंगों में अंतर दिख रहा है। वो बादलों की मोटाई में अंतर की वजह से दिख रहा है।
डॉ. हमेल ने कहा कि यूरेनस के इस मौसम को समझना फिलहाल इंसानी दिमाग के परे हैं लेकिन वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं। हम डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं। हबल टेलिस्कोप ने इससे पहले यूरेनस की तस्वीर 2014 में ली थी। इस टेलिस्कोप को नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है।
2014 की तस्वीर में यूरेनस पर कई तूफान दिख रहे थे जिनके बादल मीथेन के बर्फीले क्रिस्टल्स से बने हैं। ये बादल उत्तरी गोलार्द के थोड़ा नीचे थे। आठ साल बाद जो तस्वीर ली गई, उसमें ये बादल अब उत्तरी ध्रुव पर दिख रहे हैं। ये ठीक वैसे ही हैं, जैसे दिल्ली के ऊपर प्रदूषण वाला स्मोग छा जाता है। ध्रुवों की तरफ कुछ छोटे तूफान भी दिख रहे हैं जिनकी वजह से हवाओं का रुख बदल रहा है। अब यूरेनस पर गर्मी आ रही है। अगले पांच साल तक इस रहस्यमयी ग्रह का उत्तरी गोलार्ध सूरज की तरफ रहेगा। दक्षिणी गोलार्द 2028 तक अंधेरे में ही रहने वाला है। इस ग्रह की नई तस्वीरों की स्टडी करने के लिए वैज्ञानिक हबल, जेम्स वेब और केक ऑब्जरवेटरी में रखी पुरानी तस्वीरों को भी जांच रहे हैं ताकि यूरेनस के बारे में ज्यादा जानकारी पता चल सके।
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