
नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- मेरठ में 160 लोग मिलावटी कुट्टू का आटा खाने के बाद बीमार हो गए और उन्हें अस्पताल जाना पड़ा। कुट्टू का आटा, जिसे व्रत में फलाहार के रूप में खाया जाता है, ग्लूटेन-मुक्त और फाइबर व कॉम्प्लेक्स कार्ब्स से भरपूर होता है। यह एक स्वास्थ्यवर्धक आहार है, लेकिन अगर इसमें मिलावट हो या यह एक्सपायर्ड हो जाए, तो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुट्टू का आटा छह महीने से अधिक समय तक स्टोर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे इसमें बैक्टीरिया या फंगस पनप सकते हैं, जो भोजन के बाद गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं।
कुट्टू का आटा क्या है?
कुट्टू का आटा चावल की एक प्रजाति से बनाया जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम “फैगोपाएरम-एफक्यूलैंटम” है। यह ठंडे और पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसमें प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है। यह आटा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, लेकिन इसे सही तरीके से स्टोर करना बहुत जरूरी है। अगर इसमें नमी हो जाए या मिलावट हो जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
कुट्टू का आटा कैसे बन सकता है खतरनाक?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मिलावटी या खराब कुट्टू के आटे का सेवन गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। पुराना या एक्सपायर्ड आटा बैक्टीरिया और फंगस से दूषित हो सकता है। छह महीने से अधिक समय तक स्टोर किया हुआ कुट्टू का आटा स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है। इसलिए घर में ताजा पीसा हुआ आटा ही इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
सही कुट्टू के आटे की पहचान कैसे करें?
कुट्टू का आटा खरीदते समय सबसे पहले उसका रंग और गंध जांचें। खराब आटे का रंग बदल जाता है और उसमें दुर्गंध आ सकती है। अगर आटा गूंथने पर बिखरने लगे या जरूरत से ज्यादा चिकना हो जाए, तो यह मिलावट का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों को कुट्टू के आटे से पेट दर्द, अपच, गैस या एलर्जी की समस्या भी हो सकती है, इसलिए इसका सेवन सावधानी से करें।
More Stories
आरजेएस पीबीएच के 360वें वेबिनार में भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहुंच पर चर्चा.
हज़ारों मछलियों की मौत से बुराड़ी में हड़कंप, यमुना में ज़हर घोल रहा है प्रदूषण
सिंदूर की विजय” – मातृभूमि को समर्पित एक ऐतिहासिक क्षण का जश्न
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका, 15 पार्षदों ने बनाई नई पार्टी
दिल्ली में 42 आईएएस अफसरों के ट्रांसफर
पीलीभीत में तीन हजार सिखों का धर्मांतरण…!