नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही माथापच्ची अब अपने अंतिम दौर में है। दिल्ली से लेकर मुंबई तक इस पर मंथन जारी है, लेकिन अभी तक सीएम पद के लिए नाम फाइनल नहीं हो पाया है। हालांकि, भाजपा सूत्रों के मुताबिक, शपथ ग्रहण की तारीख तय हो गई है और जल्द ही मुख्यमंत्री का नाम भी घोषित किया जाएगा।
5 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह
भाजपा सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को दोपहर करीब 1 बजे मुंबई के आजाद मैदान में होगा। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के तमाम मुख्यमंत्रियों और पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओं की मौजूदगी रहने की उम्मीद है। इस शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के बारे में भी महत्वपूर्ण घोषणाएं की जा सकती हैं।
मंत्रालयों का बंटवारा तीन दलों द्वारा तय किया जाएगा
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे और मंत्रालयों के आवंटन का फैसला तीनों पार्टियों के नेताओं द्वारा मिलकर किया जाएगा। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी के नेताओं के बीच मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। यह मामला अब भी सभी पार्टियों के बीच विचाराधीन है।
शिंदे गुट की पहली डिमांड: गृह मंत्रालय
महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपनी पहली डिमांड रख दी है। शिंदे गुट ने गृह मंत्रालय की मांग की है। पार्टी के नेता संजय शिरसाट ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार में गृह विभाग शिवसेना को मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गृह विभाग आमतौर पर उपमुख्यमंत्री के पास होता है। इस बीच, मुख्यमंत्री पद को लेकर भी फैसला नहीं लिया जा सका है।
“सिक्स इन वन” फॉर्मूला पर विचार
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार में मंत्रालयों का बंटवारा “सिक्स इन वन” फॉर्मूला के तहत किया जा सकता है। इसके अनुसार, सरकार में हर छह विधायकों को एक मंत्री पद मिलेगा। इस फॉर्मूले के तहत भाजपा को करीब 21 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं, जबकि शिंदे गुट को 10 से 12 मंत्रालय और अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट को करीब 8 से 9 मंत्रालय मिलेंगे। महाराष्ट्र में कुल मंत्री पदों की संख्या 43 से अधिक नहीं हो सकती, जिसमें मुख्यमंत्री पद भी शामिल है।
जातीय समीकरण और एनडीए सहयोगी दलों का महत्व
बीजेपी आलाकमान इस पूरे फैसले को जातीय समीकरण और एनडीए के सहयोगी दलों को भरोसे में लेकर लेना चाहता है। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से मुंबई से लेकर दिल्ली तक मंथन जारी है। इस रणनीति से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी सहयोगी दलों के बीच संतुलन बना रहे और कोई भी दल नाराज न हो।
महाराष्ट्र की राजनीति में अभी भी कई अनसुलझे सवाल हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए नाम जल्द ही तय होने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि शपथ ग्रहण समारोह में किसे राज्य की बागडोर सौंपी जाती है और मंत्रालयों का बंटवारा कैसे होता है।


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