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    मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा की स्थापना दिवस पर आरजेएस ने किया अंतर्राज्यीय प्रवासी सम्मेलन

    -दुर्लभ रोगों पर आरजेएस पीबीएच करेगा कार्यक्रम

    नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- “कुछ शब्दों के सहारे पूर्वोत्तर की व्याख्या करना कठिन है,प्रकृति के गोद में बैठा ये क्षेत्र लगता एक अनूठा संगम है.“ इस कविता सेराम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) – आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के संयुक्त तत्वावधान में रविवार 19 जनवरी 2025 को संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन व संचालन में कार्यक्रम का आगाज किया गया। अवसर था

    मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय राज्य का स्थापना दिवस जो 21 जनवरी को होता है। “पूर्वोत्तर में लुक ईस्ट नीति के असर से विकास को गति मिल रही है। आजादी के बाद से पूर्वोत्तर राज्य भारत की मुख्य धारा से लगातार जुड़ रहे हैं।“ ये कहना है कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  एकता परिषद, इम्फाल मणिपुर के को-ऑर्डिनेटर अरिबम रिषिकांत शर्मा का। उन्होंने कहा कि मणिपुर की रासलीला अद्भुत है। बहुत सुंदर यहां की प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत है। यहां लोगों के दिलों को जोड़ने का भी काम हुआ है।

    आरजेएस पीबीएच- पॉजिटिव मीडिया को उन्होंने राज्य की स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित करने के लिए धन्यवाद किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दक्षिण अमेरिका के प्रो.रमैया मुथयाला अध्यक्ष और सीईओ इंडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर रेयर डिजीज ने कहा कि बेशक मुझे किसी ने अपनाया है, लेकिन मैं अपनी मां और मातृभूमि को कभी भूल नहीं सकता। जन्मस्थान आंध्र प्रदेश को मैं अपने दिल के करीब पाता हूं और मैं भारतीय हूं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में दुर्लभ रोगों को दूर करने का अगर मुझे अवसर मिला तो इसे मैं अपना सौभाग्य समझूंगा

    प्रकृति और जीवन के कवि अशोक कुमार मलिक ने कहा कि पूर्वोत्तर ट्राइबल इलाका है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य आज भी अक्षुण्ण हैं। और वो हमें अभी भी आकर्षित करते हैं। मणिपुर की चर्चा करते हुए उन्होंने नर नारी के स्नेह व पौरुष पर आधारित चित्रांगदा नाटिका और रवींद्र नाथ टैगोर का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की विविधता को हमें नई पीढ़ी तक पहुंचानी है।

    दूरदर्शन कर्मी इसहाक खान ने सिलीगुड़ी में अपनी पोस्टिंग के दौरान जलपाईगुड़ी दूरदर्शन के लिए पूर्वोत्तर भारत में भ्रमण के अपने अनुभवों को साझा किया। अन्य वक्ताओं ने कहा पूर्वोत्तर भारत का सौंदर्य और प्राकृतिक छटा दुनिया के किसी भी क्षेत्र से कम नहीं है। सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए सात बहनों की उपाधि से विभूषित इस इलाके को नहीं देखे तो  भारत को देखना अधूरा है।

    डीपी कुशवाहा ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता सुनाई। सत्येंद्र -सुमन त्यागी ने विश्व में सुख-शांति और समृद्धि के साथ जीवन में हास्य की भूमिका को महत्व देने के लिए धन्यवाद दिया।
    इस अवसर पर चौधरी इंद्राज सिंह सैनी, सुरजीत सिंह दीदेवार,सुदीप साहू, स्वीटी पॉल, ब्रजकिशोर आदि शामिल हुए।

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