भारत क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (सीआरडी) के एक बड़े बोझ का कर रहा है सामना- सुदीप्तो रॉय

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December 24, 2025

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भारत क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (सीआरडी) के एक बड़े बोझ का कर रहा है सामना- सुदीप्तो रॉय

-विश्व फेफड़ा दिवस 2023 पर किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाएगा, फेफड़ों के रोगों में अधूरी आवश्यकताओं को संबोधित करना

मुंबई/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- विश्व फेफड़े दिवस 2023 की थीम, “सभी के लिए रोकथाम और उपचार तक पहुंचः कोई भी पीछे न छूटे“ को ध्यान में रखते हुए, अल्केम एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रव्यापी पहल शुरू कर रहा है जिसका उद्देश्य फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और शीघ्र निदान और सही उपचार की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। अल्केम इस पहल के माध्यम से भारत के हर कोने तक पहुंचने और श्वसन रोगों से पीड़ित लोगों की बढ़ती संख्या में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए, अल्केम टियर-1 और टियर-2 शहरों के लगभग 100 अस्पतालों के साथ सहयोग करते हुए, पूरे भारत में 700-800 शिविर आयोजित कर रहा है।
            अल्केम लेबोरेटरीज लिमिटेड के प्रेसिडेंट, हेड-एक्यूट बिजनेस, सुदीप्तो रॉय ने कहा, “भारत क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (सीआरडी) के एक बड़े बोझ का सामना कर रहा है, जो वैश्विक सीआरडी मामलों में 15.69 प्रतिशत का योगदान देता है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि सीआरडी के कारण होने वाली सभी वैश्विक मौतों में से 30.28 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। एक विशेष सीआरडी, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), भारत में विशेष रूप से प्रचलित है, जिसके 5 करोड़ 50 लाख और 23 हजार मामले हैं – जो इसे विश्वभर में सीओपीडी मामलों की सबसे अधिक संख्या बनाते हैं। दुखद बात यह है कि सीओपीडी से संबंधित मौतों के मामले में भी भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है, हर साल लगभग 8 लाख 50 हजार मौतें होती हैं। इसके अलावा, देश अस्थमा के संबंध में एक चिंताजनक वास्तविकता से जूझ रहा है, क्योंकि यह अस्थमा से संबंधित मौतों के मामले में विश्व में सबसे आगे है, इस स्थिति के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से 43 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। यह अभियान फेफड़ों के स्वास्थ्य, धुम्रपान समाप्ति कार्यक्रमों और फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में गुणवत्तापूर्ण नींद के महत्व पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।”
           सुदीप्तो रॉय ने आगे कहा, “इस वर्ष विश्व फेफड़े दिवस पर अल्केम लेबोरेटरीज लिमिटेड, स्वस्थ फेफड़ों (ीमंसजील सनदहे) को बढ़ावा देने और इनहेलेशन थेरेपी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। हमारा मानना है कि इनहेलेशन थेरेपी सहित गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार होना चाहिए। हमारी देशव्यापी पहल के माध्यम से, हमारा लक्ष्य जागरूकता फैलाना, जनता को शिक्षित करना और यह सुनिश्चित करना है कि श्वसन संबंधी बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में कोई भी पीछे न रहे।”
           इनहेलेशन थेरेपी श्वसन संबंधी प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अक्सर अस्थमा और सीओपीडी सहित फेफड़ों की बीमारियों के लिए अनुशंसित प्रारंभिक या प्रथम उपचार है। जो लोग फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, वे ूू.जीमीमंसजीलसनदहे.बवउ पर जा सकते हैं दृ जहां फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की जानकारियां एक ही स्थान पर मिल जाएंगी। यह पोर्टल जागरूकता बढ़ाने, मिथकों को दूर करने, ज्ञान में सुधार करने और मरीजों को रोगोपचार का पालन करने के लिए प्रेरित करने के लिए समर्पित है।
            सुदीप्त रॉय ने आगे कहा, “विश्व फेफड़े दिवस 2023 पर, हम व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को इस वैश्विक आंदोलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। साथ मिलकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि फेफड़ों की बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में कोई भी पीछे न छूटे। आइए हम जागरूकता बढ़ाएं, स्वस्थ फेफड़ों को बढ़ावा दें और सही उपचार तक पहुंच का समर्थन करें।’’
            व्यापक अभियान न केवल स्वस्थ फेफड़ों के महत्व पर जोर देता है बल्कि श्वसन रोगों के प्रबंधन में इनहेलेशन थेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डालता है। राष्ट्रव्यापी प्रयास और दृढ़ समर्पण के साथ, भारत एक स्वस्थ और अधिक सूचित भविष्य की ओर महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।

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