नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/यूके/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- वैक्सीन पॉलिसी को लेकर घिरे यूके ने आखिरकार बड़ा बदलाव किया है. यूके ने अब भारत .ने अब भारत में बनी कोविशील्ड को स्वीकृत वैक्सीन मान लिया है. इसको लेकर नई ट्रैवल गाइडलाइंस जारी की गई हैं।
कोविशील्ड पर अपनी वैक्सीन पॉलिसी को लेकर घिरे यूके ने आखिरकार बड़ा बदलाव किया है. यूके ने अब भारत में बनी कोविशील्ड को स्वीकृत वैक्सीन मान लिया है। इसको लेकर नई ट्रैवल गाइडलाइंस जारी की गई हैं। हालांकि, अभी इससे ज्यादा बदलाव नहीं आने वाला है। यूके सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगर किसी भारतीय ने कोविशील्ड की कोरोना वैक्सीन ली है और वह यूके जाता है तो उसे अभी भी क्वारंटाइन में रहना होगा. ऐसा क्यों है? इसके जवाब में यूके सरकार ने कहा कि अभी कोई ’सर्टिफिकेशन’ का मसला अटका हुआ है। मतलब जिन लोगों ने भारत में कोविशील्ड का टीका लगवाया है उनको कोई नई छूट नहीं मिलेगी। मतलब उनको 10 दिन क्वारंटाइन में रहना होगा, साथ-साथ अलग-अलग मौकों पर तीन बार कोविड टेस्ट भी कराना होगा।
बता दें कि यूके की ताजा ट्रैवल अडवाइजरी 4 अक्टूबर से लागू होनी है। इन्हें कुछ दिन पहले जारी किया गया था. लेकिन इसमें कोविशील्ड को मान्यता नहीं दी गई थी, जिसको लेकर विवाद हुआ था। अब नई एडवाइजरी में कोविशील्ड के नाम को जोड़ा गया है। ताजा ट्रैवल एडवाइजरी में नई बात यह है कि इसमें लिखा है कि ’चार लिस्टेड वैक्सीनों के फॉर्मूलेशन जिसमें एस्ट्राजेनिका कोविशील्ड, एस्ट्राजेनिका वैक्सजेवरिया, मॉडर्ना टाकेडा को वैक्सीन के रूप में अप्रूवल दिया जाता है।’ इससे पहले वाले आदेश में जो चीजें लिखी थीं वह अब भी लिखी हैं। इसमें कहा गया था कि यूके, यूरोप, अमेरिका के वैक्सीन प्रोग्राम में जिस वैक्सीन के तहत टीका..लगा होगा उनको ही ’फुली वैक्सीनेटिड’ माना जाएगा। आगे कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनिका, फाइजर बायोएनटेक, मॉडर्ना और जेनसेन वैक्सीन को मान्यता दी गई है।. ये वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया, एंटीगुआ और बारबुडा, बारबाडोस, बहरीन, ब्रुनेई, कनाडा, डोमिनिका, इज़राइल, जापान, कुवैत, मलेशिया, न्यूजीलैंड, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया या ताइवान के किसी प्रासंगिक सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय से लगी होनी चाहिए।
मंगलवार को ट्रैवल गाइडलाइंस के संबंध में भारत की चिंताओं का समाधान नहीं किए जाने की स्थिति में विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने ब्रिटेन को चेताया था। कहा गया था कि अगर ब्रिटेन ने मांग नहीं मानी तो उसी तरह के कदम भारत भी उठा सकता है।
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