
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दिल्ली दौरे के दौरान गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद चले चर्चाओं के दौर पर वीरवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विराम लगाते हुए कहा कि वह भाजपा में नही जायेंगे लेकिन कांग्रेस में भी नही रहेंगे। उनकी चंडीगढ़ में इस टिप्पणी के बाद अब सियासी गलियारों में कुछ अलग ही खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है। हालांकि कैप्टन अमरिंदर ने अपने अगले कदम का कोई खुलासा नही किया है लेकिन इतना जरूर कहा कि वो हर स्तर पर सिद्धू का विरोध जारी रखेंगे।
कांग्रेस हाईकमान से नाराज चल रहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह जल्द ही पार्टी से इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा कि मैं अपमान सहन नहीं करुंगा. अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट कर कैप्टन का बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि अमरिंदर सिंह ने साफ कर दिया है कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे लेकिन आगे कांग्रेस में भी रहने का इरादा नहीं है। वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है और उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है। वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह दरकिनार करने से कांग्रेस का पतन हो रहा है. कैप्टन ने आगे के रुख को लेकर कहा कि अभी भी इस पर विचार जारी है।
दरअसल, 18 सितंबर को नवजोत सिंह सिद्धू से तकरार के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पहले बार 28 सितंबर को अमरिंदर सिंह दिल्ली आए और उन्होंने बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद से अमरिंदर सिंह के बीजेपी में शामिल होने को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हालांकि मुलाकात के बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा कि गृहमंत्री के साथ उन्होंने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की।
अमरिंदर सिंह ने आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की। इसको लेकर कैप्टन ने कहा कि पंजाब में सुरक्षा स्थिति के संबंध में चर्चा हुई है। दरअसल, सीमावर्ती राज्य होने की वजह से अमरिंदर सिंह लगातार स्थिरता को लेकर बयान देते रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने प्राइवेट चैनल एनडीटीवी से बातचीत में जोर देकर कहा, ‘‘फिलहाल मैं कांग्रेस में हूं, लेकिन लंबे समय नहीं रहूंगा। मैंने स्पष्ट किया है कि 52 साल से मैं राजनीति में हूं और लंबे समय से कांग्रेस में हूं. अगर 50 साल के बाद मेरी विश्वसनीयता पर संदेह किया गया, विश्वास नहीं किया गया तो फिर क्या रह गया था, ऐसे में मैंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया।
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