
रुद्रप्रयाग/अनीशा चौहान/- पंच केदारों में द्वितीय केदार के रूप में पूजित भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट आज ब्रह्म मुहूर्त में वेद ऋचाओं और मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलने के पावन अवसर पर 667 तीर्थयात्री उपस्थित रहे और उन्होंने जलाभिषेक कर विश्व शांति व समृद्धि की कामना की।

सुबह 5 बजे गौंडार गांव में भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली का भव्य श्रृंगार कर पूजा-अर्चना की गई और फिर इसे कैलाश की ओर रवाना किया गया। डोली के स्वागत में रास्ते भर भक्तों ने पुष्पवर्षा, अक्षत अर्पण और भक्ति गीतों के साथ श्रद्धा प्रकट की।

11 बजे मद्महेश्वर धाम पहुंचने के बाद डोली ने मुख्य मंदिर की तीन बार परिक्रमा की और सहायक मंदिरों में भी शीश नवाया। ठीक 11:10 बजे, मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के बीच मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। इसके पश्चात पंडित कलाधर सेमवाल ने परंपरागत शुद्धिकरण यज्ञ सम्पन्न कराया।
कपाटोद्घाटन के अवसर पर प्रसिद्ध जागर गायिका रामेश्वरी भट्ट और उनकी टीम ने पारंपरिक जागर गीतों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। मंदिर परिसर को छह कुन्तल फूलों से सजाया गया था।
श्रद्धालु 14 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा कर भगवान के दर्शन करने पहुँच रहे हैं। यह यात्रा हर वर्ष मई माह में कपाट खुलने के साथ प्रारंभ होती है और शीतकाल में भगवान की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में सम्पन्न होती है।
यह धार्मिक आयोजन न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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