
प्रियंका सिंह/- बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नेता विपक्ष राहुल गांधी को सदन में मर्यादित आचरण करने और सदन के नियमों का पालन करने की नसीहत दी। इसके तुरंत बाद, लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी और राहुल गांधी को बोलने का अवसर नहीं दिया। इस पर विपक्षी दलों के नेताओं ने विरोध जताया और गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की।
विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात में आरोप लगाया कि उन्हें सदन में बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है और सत्ताधारी दल द्वारा नियमों और परंपराओं का उल्लंघन किया जा रहा है। कांग्रेस के उप-नेता गौरव गोगोई ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के सामने एक पत्र सौंपा, जिसमें कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं के हस्ताक्षर थे, जिसमें आरएसपी और शिवसेना यूबीटी भी शामिल थे।
गौरव गोगोई ने यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने नियम संख्या 349 का हवाला दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि किस घटना को लेकर यह कहा गया। उनका आरोप था कि इस बयान का राजनीतिकरण किया जा रहा है। गौरव गोगोई ने यह भी बताया कि जब नेता विपक्ष ने जवाब देने के लिए सदन में आवाज उठाई, तो कार्यवाही स्थगित कर दी गई और उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया।
विपक्षी नेताओं ने डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 93 के तहत डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति की आवश्यकता है, लेकिन 2019 से इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है, जो अभूतपूर्व है। उनका कहना था कि सदन की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए डिप्टी स्पीकर का पद महत्वपूर्ण होता है।
इसके अलावा, विपक्ष ने पिछले हफ्ते पीएम मोदी के बिना पूर्व सूचना के संबोधन पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह संसदीय नियमों का उल्लंघन है।
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