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  • नजफगढ़ में आखिर किस के दबाव में बदल गया शिलापट्ट

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    नजफगढ़ में आखिर किस के दबाव में बदल गया शिलापट्ट

    -झाड़ौदा में 14 करोड़ के विकास कार्यों के उद्घाटन को लेकर सामने आए दो शिलापट्ट

    नजफगढ़/शिव कुमार यादव/- वैसे तो पार्टियों में गुटबाजी कोई नई बात नही है। लेकिन यही गुटबाजी बार-बार सामने आए तो बातें तो बन ही जाती हैं। ऐसा ही कुछ शनिवार को नजफगढ़ विधानसभा में देखने को मिला। जब नजफगढ़ के झाड़ौदा गांव में 14 करोड़ के विकास कार्यों को लेकर उद्घाटन होना था तो इसके दो शिलापट्ट सामने आने से भाजपा में हड़कंप मच गया और एकबार फिर नजफगढ़ भाजपा में गुटबाजी की चर्चा जोर पकड़ने लगी। लेकिन समय रहते इसको संभाल लिया गया और शिलापट्ट बदल गया। अब चर्चा यह है कि आखिर किसके दबाव में यह शिलापट्ट बदला। हालांकि नजफगढ़ जिला भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी से इंकार किया है।  

    नजफगढ़ में शनिवार को हुए उद्घाटन में  मुख्यअतिथि के रूप में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र सचदेवा व विशिष्ट अतिथि के रूप में पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत उपस्थित हुई थी। इस कार्यक्रम को एमसीडी का बताया जा रहा था जिसके तहत पूर्व नजफगढ़ जोन चेयरमैन अमित खरखड़ी के सान्निध्य में एक शिलापट्ट का निर्माण कराया गया जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा, पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत, नजफगढ़ भाजपा जिला अध्यक्ष राज शर्मा, नजफगढ़ जोन चेयरमैन सविता पवन शर्मा व पूर्व विधायक अजीत खरखड़ी के नाम अंकित थे। लेकिन विवाद तब शुरू हुआ जब इस शिलापट्ट में नजफगढ़ विधायक नीलम कृष्ण पहलवान का नाम नही था। क्योंकि झाड़ौदा गांव के विकास कार्य ग्राम उदय योजना के तहत भी कार्य होने थे जो विधायक फंड में आते हैं।

    विधायक का शिलापट्ट में नाम नही होने से स्वभाविक था कि नीलम कृष्ण पहलवान इस कार्यक्रम का बहिष्कार करें। इससे इस सारे प्रोग्राम पर पानी फिर जाता और नजफगढ़ में भाजपा की गुटबाजी उजागर हो जाती। नजफगढ़ में भाजपा की छिछालेदर को बचाने के लिए अब प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और सांसद कमलजीत सहरावत सक्रिय होते है और शिलापट्ट को बदलने का निर्णय लिया जाता है।

    इस शिलापट्ट को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक पूर्व विधायक अजीत खरखड़ी का नाम सिर्फ इसलिए जोड़ा गया कि वह पार्षद अमित खरखड़ी के पिता है या फिर वजह कोई और है। आखिर सांसद व प्रदेश अध्यक्ष ने इस पर संज्ञान क्यों नही लिया। जबकि प्रोटोकोल के हिसाब से भी वर्तमान विधायक का नाम शिलापट्ट पर आना चाहिए था। आखिर ऐसी चूक क्यों हुई। कहीं यह सब जानबूझकर तो नही किया गया था। क्या एक पार्षद का कद विधायक से बड़ा होता है। अगर नही तो फिर प्रदेश अध्यक्ष और सांसद क्यों चुप रहे।

    वजह चाहे कोई भी रही हो लेकिन इतना जरूर है कि नजफगढ़ भाजपा में गुटबाजी है यह एकबार फिर जगजाहिर हो गया है। अब देखना यह है कि भाजपा की अनुशासन समिति इस गलती के लिए किस पर एक्शन लेती है। हालांकि बाद में शिलापट्ट बदल गया और भाजपा में सब ठीक-ठाक होने की बाते सामने आने लगी।

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