नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी पूरी तरह से फ्रंटफुट पर आ गई है। उन्होने मोदी सरकार पर नया हमला करते हुए कहा कि देश पर पिछले 10 साल में कर्ज 205 लाख करोड़ हो गया है जो 2014 से पहले 55 लाख करोड़ था। मोदी सरकार ने गत दस वर्ष में लगभग 150 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। आज देश के हर नागरिक पर लगभग डेढ़ लाख रुपये, औसत कर्ज बनता है।
पिछले कई दिनों ने प्रियंका गांधी, अपने भाई एवं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मिलकर बेरोजगारी के मुद्दे पर आवाज उठा रही हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने लोकसभा चुनाव में ’युवाओं’ पर खास फोकस किया है। उन्होंने कहा है, भारत के कुल वर्कफोर्स में जितने बेरोजगार हैं, उनमें 83 फीसदी युवा हैं। कांग्रेस पार्टी के पास युवाओं को रोजगार देने की ठोस योजना है। हम ’पहली नौकरी पक्की’ से फ्रेशर्स को स्किल्ड वर्क फोर्स बनाएंगे। नए रोजगारों का सृजन करना होगा। हमारी ’युवा रोशनी’ की गारंटी, स्टार्ट-अप्स के लिए 5000 करोड़ रुपये की मदद लेकर आ रही है। हर साल दो करोड़ नौकरियां कहां हैं। देश में 30 लाख सरकारी पद खाली क्यों हैं। हर परीक्षा का पेपर लीक क्यों होता है। कुल बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी साल 2000 में 35.2 फीसदी थी। 2022 में यह 65.7 फीसदी यानी लगभग दोगुनी हो गई है। बतौर प्रियंका गांधी, दूसरी ओर प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार कह रहे हैं कि ’सरकार बेरोजगारी की समस्या हल नहीं कर सकती।’ यही भाजपा सरकार की सच्चाई है। आज देश का हर युवा समझ चुका है कि भाजपा रोजगार नहीं दे सकती।
प्रियंका गांधी ने लिखा, वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत सरकार, मौजूदा वित्त वर्ष में 14 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लेने जा रही है। उन्होंने इस पर सवाल उठाया है कि आखिर इतना कर्ज लेने की जरूरत क्यों महसूस हो रही है। मोदी सरकार द्वारा कर्ज लेने के कारण आज देश का हर नागरिक कर्जदार बन गया है। कर्ज का हर यह पैसा राष्ट्रनिर्माण के किस काम में लगा है। क्या इसके जरिए बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा हुईं हैं। उन्होंने कहा, दरअसल नौकरियां तो गायब हो गईं हैं। प्रियंका ने इस मामले में किसानों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कर्ज की आड़ में मोदी सरकार से सवाल किया है कि क्या इस कर्ज से किसानों की आमदनी दोगुनी हो गई है। क्या स्कूल और अस्पताल चमक उठे हैं। कर्ज से पब्लिक सेक्टर मजबूत हुआ या उसे कमजोर कर दिया गया। क्या बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां और उद्योग लगाए गए हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ है, अर्थव्यवस्था के कोर सेक्टर्स में बदहाली देखी जा रही है, अगर श्रम शक्ति में गिरावट आई है, अगर छोटे-मध्यम कारोबार तबाह कर दिए गए, तो यह सवाल तो उठेगा ही कि वह कर्ज का पैसा गया कहां। उस रुपये को किसके ऊपर खर्च किया गया है। इसमें कितना पैसा बट्टेखाते में गया है। बड़े-बड़े खरबपतियों की कर्जमाफी में कितना पैसा गया है। अब सरकार नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है तो सवाल उठता है कि पिछले 10 साल से आम जनता को राहत मिलने की बजाय जब बेरोजगारी, महंगाई आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा सरकार, जनता को कर्ज में क्यों डुबो रही है।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी बेरोजगारी को लेकर लगातार मुखर रहे हैं। उन्होंने ’एक्स’ पर लिखा, श्रमिकों के पास सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित रोजगार नहीं है। हम श्रमिक न्याय के तहत उनका जीवन बदलने जा रहे हैं। कांग्रेस की नीतियां ही ’रोजगार की गारंटी’ हैं। यह सरकार की रिपोर्ट से भी साबित हो गया है। भाजपा का मतलब, बेरोजगारी और बेबसी, कांग्रेस का मतलब-रोजगार क्रांति। राहुल ने लिखा, फर्क साफ है। नरेंद्र मोदी जी, क्या आपके पास रोजगार के लिये कोई योजना थी भी। यही सवाल आज हर युवा की ज़ुबान पर है। गली-गली, गांव गांव भाजपा वालों से पूछा जा रहा है। आखिर हर साल दो करोड़ नौकरी देने का झूठ क्यों बोला गया था। कांग्रेस ने युवा न्याय के तहत रोजगार क्रांति का संकल्प लिया है। यह वक्त दो विचारधाराओं की नीतियों के फर्क को पहचानने का है। कांग्रेस युवाओं का भविष्य बनाना चाहती है और भाजपा उन्हें भटकाना। भ्रम का जाल तोड़ कर युवाओं को अपने ही हाथों अपनी तकदीर बदलनी होगी। देश में ’रोजगार क्रांति’ लानी होगी।
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