दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ अकाली दल का हल्ला बोल, बार्डरों पर लोगों ने झेली परेशानी

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दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ अकाली दल का हल्ला बोल, बार्डरों पर लोगों ने झेली परेशानी

-पंजाब के तथाकथित किसानों को वापस आंदोलन में सर्वेसर्वा बनाने के लिए किया गया मार्च का आयोजन, मुजफ्फरनगर रैली के बाद हाथ से चला गया था किसान आंदोलन का नियंत्रण

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के एक साल पूरे होने पर शुक्रवार को दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से संसद भवन तक विरोध मार्च निकाला। शिअद ने गुरुद्वारा रकाबगंज से संसद तक होने वाले अपने इस प्रदर्शन को ’ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च’ का नाम दिया है। शिअद के विरोध मार्च के मद्देनजर नई दिल्ली जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है और शंकर रोड इलाके में भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहे। हालांकि आज देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन मनाया जा रहा था जिसको लेकर अकाली दल ने इस मार्च का ऐलान किया था। वैसे भी मुजफ्फरनगर की किसान नेता राकेश टिकैत की रैली के बाद किसान आंदोलन यूपी के पक्ष में चला गया था जिसके चलते पंजाब के किसान नेता अब अलग-थलग महसूस करने लगे थे जिसे देखते हुए भी इस मार्च को निकालना अकाली दल के लिए मजबूरी बन गया था। वर्ना पंजाब के किसानों के पास बार्डर से पलायन करने के अलावा कोई रास्त नही बचा था।
                      अकाली दल की शह पर दिल्ली की सीमाओं पर डंटे पंजाब के तथा कथित किसान अब इस आंदोलन से पूरी तरह से टूट चुके है और वो जैसे-तैसे कर घर वापसी का एक सम्मान जनक रास्ता तलाश रहे है। इसका सबसे बड़ा कारण यूपी के मुजफ्फरनगर में हुई राकेश टिकैत की किसान रैली को माना जा रहा है। पंजाब के किसान नेताओं का अब आंदोलन पर कोई वर्चस्व नही रह गया है जिसका पूरा नियंत्रण अब राकेश टिकैत के हाथों में चला गया। जिसे देखते हुए अब पंजाब के तथा कथित किसान व किसान नेता फिर से इस आंदोलन को काबू में करने के लिए अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करने को उतावले है। आज की अकाली दल की रैली इसी का परिणाम है जिसमे ंसिर्फ पंजाब के तथा कथित किसानों ने ही भाग लिया।


                     अकाली दल की इस रैली से दिल्ली के बार्डरों पर अफरा-तफरी का माहौल रहा। दूसरे राज्यों से दिल्ली आने वाले दैनिक कर्मचारियों व व्यापारियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। सड़कों यहां तक की छोटी सड़कों व आम रास्तों पर भी भारी जाम देखा गया और लोग 3 से 4 घंटों तक जाम में फंसे रहे। हालांकि किसान नेताओं का आरोप है कि हमारे आंदोलन की वजह से जाम व अफरा-तफरी नही मचती यह सब पुलिस का करा धरा है। पुलिस बैरिकेड्स लगा कर सड़के बंद करती है और बदनाम हमे करती है। जबकि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है। नजफगढ़ देहात के टिकरी बार्डर, झाड़ोदा बार्डर व ढांसा बार्डर पर पूरा दिन लोग जाम से जूझते रहे। काम पर जाने वाले कर्मचारी, बिमार, व्यापारी व स्कूली बच्चे भी इस जाम में परेशानी झेलते नजर आये।
                     वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने बिना इजाजत विरोध मार्च निकालने पर सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल समेत शिरोमणि अकाली दल के कई नेताओं को हिरासत में लिया है और उन्हें संसद मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा है। इस दौरान शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि मोदी सरकार और हरियाणा सरकार ने हमारे कार्यकर्ताओं को रोक दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया और हमारे वाहनों को तोड़ दिया और शांतिपूर्ण धरना रोक दिया गया। हम यहां पीएम मोदी को यह संदेश देने आए हैं कि न केवल पंजाब बल्कि पूरा देश उनकी सरकार के खिलाफ है।
                    अकाली दल के प्रदर्शन के मद्देनजर एहतियातन दिल्ली से हरियाणा को जोड़ने वाली सीमाओं को भी सील कर दिया गया है और दिल्ली मेट्रो के पंडित श्री राम शर्मा और बहादुरगढ़ शहर मेट्रो स्टेशनों के एंट्री/एग्जिट गेट भी बंद कर दिए गए हैं। मार्च को देखते हुए कई जगहों पर ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा रहा है, जिससे सड़कों पर भारी जाम लग गया है।
                    वहीं, कश्मीरी गेट बस अड्डा, नई दिल्ली एवं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात कर दिया गया है। सिंघु, टीकरी, ढांसा, झड़ौदा कलां बॉर्डर पर सुरक्षा बेहद कड़ी है। दिल्ली के बाहर के नंबर की गाड़ियों की सघन जांच की जा रही है।
                     इस दौरान शिअद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त होने तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। प्रदर्शन में कई किसान मारे गए हैं और कई अभी भी राज्य की सीमाओं पर बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस मुद्दे पर उदासीन रवैया अख्तियार किए हुए है।
                   जानकारी के अनुसार, अकाली दल ने गुरुवार को कहा था कि विरोध मार्च गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से संसद भवन तक निकाला जाएगा जिसका नेतृत्व शिअद प्रमुख सुखबीर बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल करेंगी। तीनों कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद में पारित हुए थे और हरसिमरत ने इनके विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
                       नई दिल्ली के डीसीपी दीपक यादव ने बताया कि तीन कृषि कानूनों के एक साल पूरे होने पर आज दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व में गुरुद्वारा रकाबगंज से संसद तक होने वाले मार्च को देखते हुए गुरुद्वारा रकाबगंज पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। नई दिल्ली जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के मौजूदा दिशानिर्देशों के मद्देनजर विरोध मार्च की अनुमति नहीं दी गई है।
                         दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने भी किसानों के विरोध को देखते हुए झड़ौदा कलां बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया है। ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीट कर लोगों से इस मार्ग के प्रयोग से बचने की सलाह दी है। वहीं, अकाली दल के इस विरोध प्रदर्शन से पहले झंडेवालान-पंचकुइयां मार्ग पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई है और रोड पर भारी जाम लग गया है।
                       शिअद का कहना है कि देशभर में इन काले कृषि कानून के खिलाफ किसानों में रोष है। इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले करीब 10 महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। 17 सितंबर, 2020 को संसद में तीन काले कृषि विधेयक पारित हुए, इसलिए 17 सितंबर को ब्लैक फ्राइडे के रूप में मनाया जा रहा है।

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