नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र उजवा दिल्ली के द्वारा नाबार्ड एवं दिल्ली ट्रांंस्को लिमिटेड, के सहयोग से ’’सौर ऊर्जा की कृषि में उपयोगिता’’ विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ पी के सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र उजवा के परिसर का दौरा कर कहा कि उजवा का कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली देहात के किसानों के साथ-साथ हरियाणा के किसानों को भी विविधिकरण खेती में परांगत कर रहा है। जिससे न केवल किसानों की आय बढ़ी है बल्कि युवाओं का भी पलायन रूका है। वह केंद्र की खेती के विविधिकरण की योजनाओं से काफी प्रभावित हुए हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप डॉ. पी. के. सिंह, कृषि आयुक्त, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने उपस्थित होकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बिजेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, दिल्ली ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में श्री अमित काले, भा.प्र.से., एसडीएम नजफगढ़, जिला दक्षिण–पश्चिम दिल्ली, श्री सी. जोसेफ, सलाहकार, बागवानी एवं सांख्यिकी, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार, श्री कुलदीप सिंह, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड एवं हिमांशु खत्री, प्रबंधक, नाबार्ड, नई दिल्ली उपस्थित हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ प्रमोद कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा एवं निदेशक, राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली ने सभी गणमान्य अतिथियों, वैज्ञानिक गणों एवं किसान भाई बंधुओं का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हार्दिक स्वागत के साथ की तथा केन्द्र में आयोजित हो रहे संगोष्ठी एवं केन्द्र में देश का पहला 110 किलोवाट ’’सौर ऊर्जा प्रदर्शन इकाई’’की स्थापना के उद्देश्य के बारे में विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को जानकारी दी।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. पी के सिंह ने बताया कि हमारे देश पर भगवान सूर्य देव की बहुत कृपा है क्योंकि पूरे वर्ष भर औसतन 300 दिनों तक सूर्य की अच्छी रोशनी व धूप रहती है। जिससें हम स्वच्छ एवं नवीकरणीय सौर ऊर्जा स्वतंत्र रूप से प्राप्त कर सकते हैं यदि हम सौलर पैनल के माध्यम से बिजली उत्पादन करने लग जाए तो यह प्राकृतिक संसाधनों से उत्पन्न ईंधन से कई गुना अधिक हो जाएगी। हमारे देश मे अधिकत्तर कृषि कार्य जैसे फसलों को पानी देना, घर की रोषनी, फैक्ट्री में कृषि उत्पादों का प्रस्सकंरण व मूल्य संवर्धन, कृषि उत्पादों की पैकिंग करना आदि बिजली पर ही निर्भर करता है। अब हमें प्राकृतिक संसाधनों जैसे ईधन, पानी आदि को बचाना भी है एवं इसी के साथ उन्होनें केन्द्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही पी.एम.कुसुम योजना, प्राकृतिक खेती, मोटे अनाज व वर्ष भर होने वाली आय आदि के बारे में अवगत करवाया। डॉ. सिंह ने कहा कि हमें प्राकृतिक खेती के साथ फसल विविधिकरण को भी अपनाना है ताकि हम कम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. बिजेन्द्र सिंह ने केन्द्र के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि केन्द्र के द्वारा किये जा रहे नये प्रयोग एवं प्रदर्शित नवीनतम तकनीकों को अपनाना है। डॉ. सिंह ने केन्द्र के द्वारा प्रशिक्षित प्रशिक्षु रही श्रीमती कृष्णा यादव की सफलत्ता का जिक्र करते हुए उपस्थित प्रतिभागियों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री एस. जोसेफ ने कहा कि वर्तमान में हमें सोलर एवं हवा से प्राप्त हो रही ऊर्जा की बहुत आवष्यकता है क्योंक हम बिजली के उत्पादन में बहुत ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर चुके है। हमें अब सौर ऊर्जा को कृषि कार्यो के लिए उपयोगी बनाना है क्योंकि कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र है जो नवीनत्तम तकनीकों एवं प्रौधोगिकियों को अपनाने का प्रमुख स्त्रोत बन चुका हैं।
विशिष्ठ अतिथि श्री अमित काले ने किसानों से केन्द्र के द्वारा आयोजित विभिन्न तकनीकों को अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि आज नजफगढ़ देहात के किसान कृषि विज्ञान केंद्र उजवा के वैज्ञानिकों की मदद से कृषि कार्यों में दोहरा लाभ कमा रहे है। उन्होने इस मौके पर किसानों ने उनके अनुभव भी जाने और मुख्यअतिथि को किसानों की बदलती आर्थिक परिस्थिति से भी अवगत कराया।
श्री कुलदीप सिंह ने केन्द्र के सहयोग से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए किसानों के लिए लाभान्वित योजनाओं के बारे में अवगत करवाया। श्री सिंह ने कहा कि यह देशभर के कृषि विज्ञान केन्द्रों में से प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली में नवीनतम मॉडल स्थापित हुआ। जिसमें सौर ऊर्जा संयन्त्र के साथ कृषि कार्य भी सम्पन्न हो रहे है एवं नाबार्ड जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को रोकने के लिए ऐसी योजना पर कार्य करने की योजना बना रहा है। जिससें कृषि में सौर ऊर्जा भी होगी एवं किसानों की आमदनी भी बढे़गी।
इस संगोष्ठी के तकनीकी सत्र के दौरान स्वच्छ सोर ऊर्जा का उत्पादन करते हुए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, किसानों की कृषि भूमि में सौर संयंत्र स्थापित करके उनकी प्रति इकाई बढ़ाना एवं कृषि कार्यो व उत्पादों पर लगने वाले अतिरिक्त व्यय को कम करने के साथ-साथ विभिन्न कृषि संबंधी सामयाकी कार्यो पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम कें दौरान गणमान्य अतिथियों की उपस्थिती में केन्द्र की पत्रिका कृषि वाहिनी का भी विमोचन किया गया। इसी दौरान केन्द्र द्वारा मशरुम उत्पादन, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं आधुनिक डेयरी फार्म के प्रशिक्षण से प्रशिक्षित प्रशिक्षुकों को प्रमाण पत्र वितरित किये गयें।
कार्यक्रम के अन्त में श्री राकेश कुमार, विशेषज्ञ बागवानी ने कार्यक्रम में उपस्थिती के लिए सभी गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों, वक्ताओं एवं मीडिया बन्धुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र की सभी वैज्ञानिकगण डॉ. रितु सिंह, डॉ. देवेन्द्र राणा, डॉ. समर पाल सिंह, श्री कैलाश, श्री बृजेश यादव, श्री राम सागर, श्री सुबेदार, श्रीमती मंजु, श्री विशाल एवं श्री आत्माराम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस संगोष्ठी में 300 से अधिक किसानों, महिला किसानों, कृषि उधमियों, कृषि विशेषज्ञों एवं विस्तार कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।
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