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    दिग्गज वामपंथी नेता अच्युतानंदन का 101 वर्ष की आयु में निधन, केरल ने खोया अपना पूर्व मुख्यमंत्री

    तिरुवनंतपुरम/अनीशा चौहान/- केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी. एस. अच्युतानंदन का आज, सोमवार को तिरुवनंतपुरम स्थित एक निजी अस्पताल में देहांत हो गया। उनकी आयु 101वर्ष थी। उन्होंने 2006से 2011तक केरल की राज्य सरकार का नेतृत्व किया था। ‘वीएस’ के नाम से लोकप्रिय अच्युतानंदन उन 32संस्थापकों में शामिल थे, जिन्होंने 1964में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से अलग होकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) की नींव रखी थी, और वे इस समूह के दो जीवित नेताओं में से एक थे। 82वर्ष की उम्र में 2006में उन्होंने केरल में पार्टी को सत्ता हासिल कराई और अगले पांच वर्षों तक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

    सार्वजनिक जीवन से दूर, लेकिन प्रभावशाली व्यक्तित्व

    पिछले कुछ वर्षों से वे सार्वजनिक मंच से दूर रहे और तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे के निवास पर समय बिता रहे थे। उम्र के साथ आई स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें ज्यादातर घर की चारदीवारी में रखा, जहां वे शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनके निजी सचिव ए. जी. शशिधरन नायर ने उनके व्यक्तित्व की तारीफ करते हुए कहा कि वीएस एक निर्भीक नेता थे, जो किसी भी परिस्थिति में अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते थे। वे पार्टी की राय से हटकर भी मुद्दों को उठाने में संकोच नहीं करते थे, जो उनकी निष्ठा को दर्शाता था।

    एक साहसिक निर्णय का उदाहरण

    नायर ने 2008की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि वीएस ने अपने बेटे वी.ए. अरुण कुमार की नियुक्ति पर लगे आरोपों का सामना करने के लिए एक अनूठा कदम उठाया था। उन्होंने स्वयं विधानसभा समिति से इसकी जांच कराने की मांग की थी, जो उनके पारदर्शिता के प्रति समर्पण को दिखाता है। बाद में जांच में ये आरोप निराधार साबित हुए, जिससे उनकी सत्यनिष्ठा और साहस की पुष्टि हुई। यह घटना उनके राजनीतिक जीवन में एक मील का पत्थर मानी जाती है।

    CPI (M) और शशि थरूर ने जताया शोक

    CPI (M) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसमें कहा गया कि वे अपने लाल झंडे को उनके सम्मान में झुकाते हैं। इसी बीच, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी शोक व्यक्त करते हुए अच्युतानंदन को एक ‘महान कम्युनिस्ट नेता’ और ‘जनता के प्रिय जननेता’ के रूप में याद किया। थरूर ने उनके जीवन को साधारण पृष्ठभूमि से शुरू होकर जनता के बीच प्रेरणादायक नेता बनने की अविस्मरणीय यात्रा बताया।

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