
नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भाजपा ने दिल्ली चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में यमुना नदी को स्वच्छ व पवित्र बनाने का संकल्प लिया था। अब उसे पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार भी अब इस अभियान में शामिल हो गई है जिसे देखते हुए दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना ने घोषणा की है कि अगले तीन साल में यमुना पूरी तरह से स्वच्छ व पवित्र हो जाएगी।

भाजपा और केंद्र व दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि इस अवधि से पहले ही यमुना क्लीन मिशन अपने अंजाम तक पहुंचेगा और लोगों को अहमदाबाद की साबरमति नदी की तरह दिल्ली में यमुना भी कांच की तरह से चमचमाती और स्वच्छ नजर आएगी।

इस परियोजना पर काम भी शुरु कर दिया गया है। लगभग 3140 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली में अलग-अलग इलाकों में 40 केंद्रीयकृत अवजल शोधन संयंत्र (डीएसटीपी) लगाए जाएंगे। अभी दिल्ली में 38 एसटीपी हैं। इसमें से आधे से अधिक अपनी क्षमता व मानक के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। इनका उन्नयन कर क्षमता व गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी।

जानकारों की मानें तो करीब 200 से अधिक ड्रेनेज का दूषित जल यमुना को और अधिक विषैला कर रहा है, गंदे पानी के कारण यमुना में झाग की मोटी परत दूर से ही नजर आती है। बताया जाता है कि यमुना में विषैले तत्व के कारण यह झाग बनते हैं और इसके पानी से त्वचा एवं श्वास संबंधी समस्या विकराल हो सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में यमुना स्वच्छता से जुड़े मसले पर बैठक भी की। जिसके बाद केंद्र सरकार के सहयोग से दिल्ली सरकार ने नदी की सफाई का काम शुरु किया है। एलजी वी के सक्सेना ने भी इसके लिए सख्त निर्देश दिये हैं। उनके निर्देश पर आईटीओ खादर क्षेत्र में अवैध झुग्गी बस्ती हटाई गई हैं।
कालिंदी कुलंज घाट पर नदी की सफाई का काम शुरू हो गया है। गाद हटाने और खरपतवार निकालने के लिए आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। बताया जाता है कि डीएसटीपी के माध्यम से यमुना में जाने वाले सीवरेज को बिना उपचारित यमुना में गिरने से रोका जा सकेगा। इनमें से 13 डीएसटीपी के लिए केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत वित्त पोषित (फंडिंग) की स्वीकृति भी पहले ही दी जा चुकी है।

दरअसल यमुना की सफाई लगातार प्रमुख चुनावी मुद्दा बना रहा है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी प्रचार सभा में यमुना को निर्मल व अविरल करने, साबरमती रिवर फ्रंट की तरह इसके तट को विकसित करने और इसे दिल्ली की पहचान बनाने का वादा किया था। भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र में भी यमुना को स्वच्छ करने का संकल्प रखा गया था। भाजपा सरकार की सरकार बनने के साथ ही इस संकल्प को पूरा करने के लिए यमुना की सफाई अब शुरू हो गई है। नदी में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण नालों व सीवर का पानी गिरना है। इसके समाधान के लिए 40 विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्रों (डीएसटीपी) बनाने और चालू सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के उन्नयन की घोषणा भी दिल्ली सरकार ने की है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि राजधानी दिल्ली में जल और सीवेज बुनियादी ढांचे को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के लिए केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का अनुरोध किया है। इससे पानी आपूर्ति सुधारने, शहर में स्वच्छता को बेहतर करने के साथ ही यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी।

दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि तीन वर्ष के भीतर यमुना को प्रदूषण से मुक्त किया जाएगा। छठ पर्व पर व्रतियों को दूषित जल में डुबकी नहीं लगानी होगी, बल्कि यमुना पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होंगी और यमुना के निर्मल, स्वच्छ जल में वे स्वयं भी स्वच्छ यमुना में डुबकी लगाएंगे। उन्होंने कहा कि 2028 तक यमुना को साबरमति नदी की तरह न केवल प्रदूषण मुक्त पाएंगे बल्कि यहां पर भी पर्यटन विकसित करने की दिशा में भी काम हो सकता है।

अधिकारियों के अनुसार यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के कार्य में तीन साल के भीतर यमुना को पूरी तरह से स्वचछ करने का लक्ष्य है। इस कार्य में दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग , एमसीडी, पर्यावरण विभाग, लोक निर्माण विभाग, डीडीए, डीपीसीसी सहित विभिन्न एजेंसियों को आपसी तालमेल के साथ काम करने के लिए कहा गया है। इसमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) इंडस्ट्रियल यूनिट्स से फैलने वाले प्रदूषण पर सख्त निगरानी रखने में जुटेगी। ताकि अनुपचारित गंदगी को शहर की नालियों और उसके माध्यम से यमुना में पहुंचने से रोका जा सके।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में यमुना की कुल लंबाई केवल 22 किलोमीटर है। यह उसकी कुल लंबाई 1370 किलोमीटर का लगभग दो प्रतिशत है। लेकिन यही दो फीसदी हिस्सा यमुना की कुल गंदगी का 80 फीसदी हिस्सा उत्पन्न करता है। इस दो प्रतिशत हिस्से को साफ करने के लिए केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार ने पिछले सात सालों में लगभग 7000 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च कर दी है। लेकिन यमुना का पानी पीने और नहाने लायक तो दूर की बात है छूने पर भी बीमारी को दावत देता दिखता है।
स्टॉर्म वाटर ड्रेन की स्वच्छता पर जोर
किरारी ट्रंक ड्रेन, द्वारका में स्टॉर्म वाटर चैनल नंबर 2 और 5, द्वारका सेक्टर 8 में स्टॉर्म वाटर ड्रेन, रानी खेड़ा से सेक्टर 40, रोहिणी तक स्टॉर्म वाटर ड्रेन की स्वच्छता पर पूरा जोर है। दिल्ली सरकार के अलावा केंद्र के अधीन डीडीए ने भी इस बार बजट में कुल 145 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे यमुना नदी के प्रदूषण, जलभराव, बाढ़, भूजल के प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। इससे ड्रेन के साथ- साथ जलाशयों के निर्माण और पार्कों की सिंचाई जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
82 करोड़ रुपये से स्वच्छ एवं हरित दिल्ली की दिशा में पहल
प्रकृति के निकट सार्वजनिक स्थानों के निर्माण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों के विकास के माध्यम से दिल्ली के निवासियों को यमुना नदी के तट, विशाल पार्कों और विरासत संरचनाओं से जुडऩे के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
यमुना नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के पारिस्थितिकी स्वरूप को बढ़ाने के लिए यमुना नदी के बाढ़ के मैदानों का कायाकल्प और जीर्णोद्धार। दिल्ली के निवासियों के लिए बनाए जा रहे यमुना रिवर फ्रंट के प्रमुख स्थानों में आईटीओ पुल के पास असिता ईस्ट, सराय काले खां बस डिपो के पास बांसेरा और आईएसबीटी, कश्मीरी गेट के पास वासुदेव घाट शामिल हैं। बजट अनुमान 2025-26 में 82 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।
यमुना की सफाई के लिए आवंटित धन
-डीएसटीपी बनाने पर खर्च होंगे लगभग 500 करोड़ रुपये
नालों के गंदे जल को साफ करने व एसटीपी तक ले जाने में 250 करोड़ की लागत अनुमानित
नजफगढ़ ड्रेन के परिवर्तन व इंटरसेप्शन परियोजना में 200 करोड़ रुपये
-यमुना की सफाई में आधुनिक उपकरण खरीदी पर करीब 40 करोड़ रुपये की लागत
-सीवेज व्यवस्था में सुधार व सुपर सकर मशीन आदि के लिए 20 करोड़ रुपये अनुमानित खर्च
क्या कहते हैं आंकड़े
डीपीसीसी के अनुसार 2017-18 से 2020-21 के मध्य पांच साल में यमुना सफाई पर विभिन्न विभागों को 6856.9 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई थी। यह धनराशि यमुना में गिरने वाले गंदे पानी के शोधन पर खर्च होनी थी। 2015 से 2023 की पहली छमाही तक केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड को लगभग 1200 करोड़ रुपये दिए थे।
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