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    चीन के फर्जी वीडियों के जवाब में भारतीय जांबाजों ने दिखाई गलवान की असली तस्वीर

    -भारतीय सेना ने गलवान घाटी में तिरंगा फहरा चीन को दिया कड़ा संदेश

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/लद्दाख/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारतीय सेना ने लद्दाख की गलवान घाटी में एक जनवरी को तिरंगा फहराया है। इसकी तस्वीर जारी की गई है. बता दें कि एक दिन पहले ही चीन की ओर से पैंगोंग त्सो झील पर पुल निर्माण की खबर भी सामने आई थी। इससे पहले नए साल के मौके पर (एक जनवरी के दिन) चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के कब्जे संबंधी वीडियो पोस्ट की थी. लेकिन स्वतंत्र रूप से किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की थी। दरअसल, चीन मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश करता रहता है और इस तरह की हरकते करता रहता है। भारतीय जांबाजों ने गलवान घाटी में चीन के फर्जी वीडियों के जवाब में असली तिरंगा फहराकर चीन को कड़ा संदेश दिया है कि नाम बदलने से कोई इलाका उसका नही हो जायेगा। असलियत कभी छिपती नही है।

    लद्दाख की जमा देने वाली सर्दी में भी भारतीय सेना के जांबाज सीमा पर मुस्तैद रहते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला नए साल के अवसर पर. सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना के जवानों ने नए साल की पूर्व संध्या पर गलवान में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया था। गलवान में तिरंगा फहराने की तस्वीर मीडिया में आई उन खबरों के बीच आया है, जिसमें दावा किया गया था कि चीनी सैनिकों ने कुछ दिन पहले इस क्षेत्र में अपना झंडा दिखाया था। ग्लोबल टाइम्स ने इसका वीडियो भी पोस्ट किया था.बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में चीनी सरकार द्वारा अरुणाचल में कई जगहों के नाम बदलने की बात सामने आ चुकी है। इस खबर में कहा गया है कि चीन ने नए सीमा कानून को लागू करने से दो दिन पहले अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का ’नाम बदलने’ की पहल की। इस पर भारत ने कहा था कि चीन के इस प्रयास से हकीकत नहीं बदलने वाला है। सरकार ने गुरुवार, 30 दिसंबर को कहा था, भारत ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का नाम ’अपनी भाषा में’ करने का प्रयास करने की रिपोर्ट देखी है। भारत ने कहा था कि सीमावर्ती राज्य हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा।

    भारत ने कहा कि आविष्कृत नामों को निर्दिष्ट करने से इस तथ्य को नहीं बदला जा सकता है कि ये इलाके भारत के हैं। अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का नाम चीन ने अपनी भाषा में बदलने की पहल की थी। इन खबरों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि चीन ने अप्रैल, 2017 में भी ऐसे नाम देने की पहल की थी। बता दें कि मई, 2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता हुई है. हालांकि, बातचीत के बाद भी गतिरोध खत्म नहीं किया जा सका है। ग्लोबल टाइम्स के इस वीडियो को फर्जी माना जा रहा है।

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