चीन की जी हजूरी करना क्यों है मालदीव की मजबूरी ?

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December 22, 2024

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चीन की जी हजूरी करना क्यों है मालदीव की मजबूरी ?

मानसी शर्मा / – भारत ने मालदीव को 24 घंटे के अंदर ही ये एहसास करा दिया है कि भारत के प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना और भारत से दुश्मनी मोल लेना बहुत महंगा सौदा है। अब मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू जिनपिंग के दरबार में पेश होने पहुंचे हैं और भारत के खिलाफ मालदीव के बिगड़े बोल चीन की शह पर बोले गए हैं।
मालदीव के बदतमीजी करने वाले मंत्रियों को जवाब देने के लिए भारत की जनता एकजुट हो गई है। लोगों ने मिलकर मालदीव को यह संकेत दे दिया है कि जब भी वे भारत या भारतीय PM के बारे में बात करें तो अपनी जुबान पर काबू रखें।

चीन की जी हजूरी करना क्यों है मालदीव की मजबूरी?

चीन का जी हजूरी करना मालदीव की मजबूरी है। दरअसल, मौजूदा मालदीव सरकार में चीन द्वारा प्रायोजित भारत विरोधी विचारधारा है। चीन हिंद महासागर में अपना दबदबा बनाकर भारत पर दबाव बनाना चाहता है। साथ ही चीन ने मालदीव को अपने कर्ज के बोझ तले दबा दिया है। वह किसी भी हालत में उसके सामने सिर नहीं उठा सकता।

चीन के कर्ज तले दबा है हर मालदिवीयन

एक रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था करीब 40 हजार करोड़ रुपये की है, जबकि मालदीव पर चीन का सिर्फ 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। वर्तमान समय में मालदीव की जनसंख्या लगभग 5 लाख 21 हजार है। इस नजरिए से समझें तो मालदीव के एक शख्स पर 4 लाख 80 हजार रुपये का चीनी कर्ज है। इस कारण मालदीव चीन के इशारों पर नाच रहा है। वहीं इस बार मुइज्जू को भारत विरोध के नाम पर ही सत्ता मिली है।

भारत से दुश्मनी महंगी पड़ेगी

अब हम आपको समझाते हैं कि भारत के साथ संबंध खराब करना मालदीव की अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा झटका है। मालदीव की आर्थिक ताकत फिलहाल पर्यटन पर टिकी है और भारत इसका सबसे बड़ा हितधारक है। साल 2023 में भारत से 2 लाख 9 हजार लोग मालदीव घूमने गए। जबकि 2022 में मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 2 लाख 41 हजार थी।

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