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    गांवों में संक्रमण रोकने के लिए केंद्र ने की नई गाइडलाइन जारी

    -गांवों में स्क्रीनिंग और क्वारंटीन पर दिया जोर,

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। दूसरी लहर में महामारी ने शहरों के साथ-साथ ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भी अपने पैर पसार लिए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने गांवों और आदिवासी क्षेत्रों के लिए अलग से गाइडलाइन जारी की है ताकि इसका संक्रमण रोका जा सके। नई गाइडलाइन में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए निगरानी, स्क्रीनिंग और आइसोलेशन पर जोर दिया है।
                           केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए जारी की गई नई गाइडलाइन के मुताबिक, हर गांव में आशा कार्यकर्ताओं को जुकाम-बुखार की मॉनिटरिंग करनी होगी। इनके साथ हेल्थ सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशन कमेटी भी रहेगी। वहीं जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं, उन्हें ग्रामीण स्तर पर कम्युनिटी हेल्थ अफसर को देखने के निर्देश दिए हैं।
                          गाइडलाइन के मुताबिक, पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों या ऑक्सीजन स्तर कम होने पर मरीजों को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में भेजा जाए। जुकाम-बुखार और सांस से संबंधित परेशानी के लिए हर उपकेंद्र पर ओपीडी चलाई जाए। दिन में इसका समय निश्चित हो। अगर किसी में कोरोना के संदिग्ध लक्षण हैं, तो उनकी स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जाए या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड जांच सेंटर में भेजे जाएं।
                           स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर रैपिड एंटीजन टेस्ट की किट उपलब्ध कराई जाए। स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच किए जाने के बाद मरीज को तब तक आइसोलेट होने की सलाह दी जाए, जब तक उनकी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती।
                          नई गाइडलाइन के मुताबिक, जिन लोगों में कोई लक्षण नहीं नजर आ रहा है, लेकिन वे किसी संक्रमित के करीब गए हैं और बिना मास्क या छह फीट से कम दूरी पर रहे हैं तो उन्हें क्वारंटीन होने की सलाह दें। साथ ही उनकी तत्काल कोविड जांच की जाए। हालांकि, ये संक्रमण के फैलाव और केसों की संख्या पर निर्भर करता है, लेकिन इसे आईसीएमआर की गाइडलाइंस के हिसाब से किया जाए।
                         नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि करीब 80-85 फीसदी मरीज बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले आ रहे हैं, ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत नहीं है। इन्हें घरों या कोविड केयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाए। ये मरीज होम आइसोलेशन के दौरान केंद्र की मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करें। इन मरीजों के परिवार के सदस्य भी गाइडलाइन के हिसाब से ही क्वारंटीन रहें। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मी कोरोना बचाव संबंधी नियमों का पालन करते हुए लगातार उनके हालचाल लेते रहें। अगर किसी मरीज में गंभीर लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत मेडिकल सुविधा दी जाए।

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