कैलाश मानसरोवर यात्रा पर चीन ने कैसे भरी हामी, जाने क्या है पर्दे के पीछे का राज?

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February 1, 2025

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कैलाश मानसरोवर यात्रा पर चीन ने कैसे भरी हामी, जाने क्या है पर्दे के पीछे का राज?

मानसी शर्मा/-भारत और चीन पुरानी बातें भूलकार नए रिश्तें की ओर बढ़ रहा है। पहले तो एलएसी पर सीमा विवाद सुलझा। उसके बाद अब चीन कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू करने पर भी राजी हो गया है। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से ये जानकारी साझा की गई है। दरअसल, दोनों देशों के बीच सिमा पर तनाव के कारण 2020 से ही ये यात्रा बंद थी। लेकिन साल 2025 की गर्मियों में ये यात्रा फिर से शुरू होगी। भारत और चीन ने सोमवार को अपने रिश्तों के पुननिर्माण की दिशा में यह अहम घोषणा की। बता दें,

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री 26 जनवरी को चीन के दो दिवसीय दौरे पर पहुँचे थे। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करना भारत और चीन के बीच के संबंध को बेहतर करने की दिशा में एक कदम है। सालों बाद शुरु हो रही यात्रा दरअसल, कैलाश मानसरोवर यात्रा 5 साल बाद शुरू हो रही है। भारत और चीन के बीच साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील के पास तकरार हुई थीं। इन तकरारों के चलते ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। ये तनाव इतना बढ़ा कि दोनों देशों ने सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी।

जिसके बाद से ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा बंद हो गई थी। साथ ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान की भी सेवा बंद हो गई थी। हांलाकि, इतने तकरारों के बाद मगर अब सब नॉर्मल होने जा रहा है। क्या है दोनों देशों के सुधरते रिश्ते का राज भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने की सबसे अहम वजह है बातचीत।इन्हीं बातचीत का नतीजा है कि अब दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने लगे हैं।इसकी पटकथा दिल्ली से 3750 किलोमीटर दूर स्थित रूस के कजान शहर में लिखी गई। जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी।

इस वर्ष दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों की 75वीं वर्षगांठ है। इस वर्षगांठ को मनाने के लिए दोनों देशों की ओर से कई तरह की गतिविधियां भी की जाएगी। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में वांग यी का कहना है कि कजान में राष्ट्रपति शी जिनफिंग और पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच हुई बैठक हुई थी। जिसके बाद दोनों देशों की ओर हुई सहमति को बेहद सफलतापूर्वक तरीके से अंजाम दिया गया है।

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