काले चावल की बढ़ी मांग, आनॅलाईन हाथो-हाथ बिक रहा काला चावल

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 29, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

काले चावल की बढ़ी मांग, आनॅलाईन हाथो-हाथ बिक रहा काला चावल

-छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहा काले चावल का रकबा, नाबार्ड व सरकार मिलकर कोरबा में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कर रही काम

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- देश में काले चावल की मांग तेजी से बढ़ रही है जिसके चलते अब सरकार भी नाबार्ड के साथ मिलकर किसानों के लिए काले चावल की उपज व मार्केटिंग के लिए आग आ रही है। देश का काला चावल ऑन लाईन हाथों-हाथ बिक रहा है जिसकारण अब किसानों ने भी पारंपरिक धान की खेती छोड़ काले चावल की खेती का रूख कर लिया है। दक्षिण व पश्चिमी बंगाल के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी काले चावल की खेती शुरू हो गई है।
                       छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला में इस बार करीब 200 एकड़ रकबे में ब्लैक राइस की खेती हो रही है। कोरबा जिले के करतला और कोरबा विकासखंड के करीब 30 गांव के किसान परंपरागत धान की खेती को छोड़कर काले धान यानी ब्लैक राइस की खेती कर रहे हैं। अपने औषधीय महत्व के कारण किसानों की यह उपज हाथों-हाथ अच्छे दामों पर बिक भी रही है। पश्चिमी बंगाल से लेकर तमिलनाडु और केरल तक की बड़ी ट्रेडिंग कंपनियां इस राइस के लिए किसानों से संपर्क भी कर रही हैं। लोकल मार्केट में भले ही इस चावल की कीमत 150 से 200  रूपये प्रति किलो हो परंतु कई ट्रेडिंग कंपनियों के माध्यम से अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन मार्केट प्लेटफार्म पर यह चावल 400 से 500 रूपये किलो तक बिक रहा है। 2 साल पहले सिर्फ करतला विकास खंड में 9 गांव में किसानों ने 22 एकड़ में ब्लैक राइस की खेती शुरू की थी। ब्लैक राइस से फायदे को देखते हुए जिले के दो ब्लॉक कोरबा और करतला के लगभग 30 गांव में आज  200 एकड़ रकबे में ब्लैक राइस की फसल लगी है। इस बार रबी मौसम में किसानों की 100 एकड़ में रेड लाइट लगाने की भी योजना है। वहीं चालू खरीफ मौसम में करतला में 170 एकड़ में और कोरबा में 55 एकड़ में काले धान की खेती की जा रही है।
                       पिछले वर्ष खरीफ और रबी को मिलाकर कुल 166 एकड़ में ब्लैक राइस और 71 रेड राइस की खेती की गई थी जिससे लगभग डेढ़ हजार किवंटल ब्लैक राइस और 70 किवंटल रेड राइस का उत्पादन हुआ था। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने और खेतों को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए सरकारी योजना शुरू की हैं। धान की परंपरागत खेती के स्थान पर अन्य लाभकारी फसलों की खेती भी उनमें से एक है। कोरबा के करतला विकासखंड में परंपरागत धान की खेती की जगह ज्यादा दामों पर बिकने वाले ब्लैक राइस की खेती 2 साल से की जा रही है। शुरुआत में किसानों ने लगभग 22 एकड़ रखे में लगाया था और उससे लगभग ढाई सौ किवंटल उत्पादन मिला था। किसानों का यह उत्पाद हाथों हाथ बिक गया था। राज्य सरकार के साथ-साथ फायदेमंद खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन और मदद नाबार्ड से मिली है। साथ ही समाज सेवी संस्था बखरी गांव विकास शिक्षण समिति भी किसानों को इसके लिए जरूरी प्रशिक्षण और मार्केटिंग के लिए मदद कर रही है। किसानों की उपज की प्रोसेसिंग के लिए शासन द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराकर नवापारा में मिनी प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई गई है। इसके लिए किसानों की सहकारी समिति बनाई गई है। समिति के अध्यक्ष सूर्यकांत सोकले ने बताया कि परंपरागत धान की खेती को छोड़कर फायदा देने वाली ब्लैक राइस की खेती के लिए किसानों को श्री पद्धति सहित खेतों के उन्नत तरीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है। उपज की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिए नाबार्ड द्वारा सहयोग किया जा रहा है। किसान अपनी ब्लैक राइस की उपज को देश-विदेश की बड़ी एक्सपोर्ट कंपनियों को बेच रहे हैं। कोलकाता की कंपनियों के साथ दक्षिण भारत की कई बड़ी कंपनियां इसके लिए संपर्क में है। किसानों को इस ब्लैक राइस से प्रति किलो 100 से अधिक का फायदा मिल रहा है। इसमें औषधीय गुण होने के कारण विदेशों में भी ब्लैक राइस की खासी मांग है। दुबई, इंडोनेशिया सहित ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के देशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। डायबिटीज, हृदय रोग सहित मोटापा और पेट संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों को डॉक्टर इस चावल को खाने की सलाह दे रहे हैं। एंटी ऑक्सीडेंट तत्व की अधिकता, भरपूर फाइबर और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियमित रखने के साथ-साथ करोना के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी यह चावल फायदेमंद है। इसकी बिस्किट बनाई जा सकती है सभी तरह से स्वास्थ्यवर्धक और लाभकारी होने के कारण इस चावल की महानगरों में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मांग तेजी से बढ़ रही है।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox