मानसी शर्मा /- तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद लड्डू में चर्वी मिलावट की खबरों ने सनसनी मचा दी है। दरअसल एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि भक्तों को दिया जाने वाला प्रसाद में चर्वी मिला हुआ था। उसमें सूअर की चर्वी और बीफ टालो आदि मिला हुआ था। मंदिर के प्रसाद में ऐसी मिलावट होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन क्या आपको पता है आपके घर में चर्वीयुक्त खाना कैसे पहुंच जाता है। तो आइए जानते हैं।
आपको बता दें कि जानवरों की चर्बी के थाली तक पहुंचने का सोर्स घी हो सकता है। दरअसल, कई कंपनियां नकली घी बनाकर बाजार में बेचती है। इस नकली घी को बनाने के लिए भैसों के सींग और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। कई लोग अपने फायदे के लिए नकली घी बनाते हैं। नकली घी बना जान से खिलवाड़ करते हैं। बता दें कि घी में चिकनाई आदि बढ़ाने के लिए चर्बी का यूज किया जाता है।
आगरा में भी मामला आया था सामने
गौरतलब है कि साल 2020में आगरा से एक मामला सामने आया था। जब पुलिस ने नकली घी बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा मारा था। जहां पर जानवरों की चर्बी, हड्डी, सींग और खुर को उबालकर घी बनाया जा रहा था। पुलिस ने उस दौरान बताया था कि यहां भैसों के सींग और जानवरों की चर्बी से घी बनाया जाता है। ऐसे ही कई और मामले भी कई बार सामने आ चुके हैं।
क्या है तिरुपति का मामला ?
दरअसल तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में उपयोग होने वाली घी की जांच रिपोर्ट आई है। जिसमें मछली के तेल और जानवरों की चर्वी के इस्तेमाल की पुष्टी हुई है। इसमे फिश ऑयल , एनिमल टैलो की मात्रा मिली है। एनिमल का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है। इसमें लार्ड भी मिला हुआ था। लार्ड का मतलब जानवरों की चर्वी से होता है। इसी घी फिश ऑयल भी मिली थी।


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