आरक्षण को लेकर हिंसा के बाद शेख हसीना ने दिया इस्तीफा, भारत में ली शरण

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November 8, 2024

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आरक्षण को लेकर हिंसा के बाद शेख हसीना ने दिया इस्तीफा, भारत में ली शरण

नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसा और विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी सरकार गिरने के बाद शेख हसीना भारत आ गई हैं। हालाँकि, उन्होंने ब्रिटेन से राजनीतिक शरण मांगी है। जब तक हसीना को ब्रिटेन में शरण नहीं मिल जाती, वे भारत में ही रहेंगी। सोमवार को उनकी सरकार गिरने के बाद भारत सरकार ने उन्हें अंतरिम प्रवासन की अनुमति दी है। यह पहली बार नहीं है कि शेख हसीना इस तरह की मुसीबत से बचने के लिए भारत आई हैं।

1975 में भी शरण ली थी भारत में

1975 में शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी। उस दिन शेख हसीना के परिवार के 17 लोगों की हत्या कर दी गई थी। हालाँकि, शेख हसीना और उनकी बहन तब जर्मनी में थीं, इसलिए वे बच गईं। इसके बाद शेख हसीना और उनकी बहन ने भारत में राजनीतिक शरण ली। फिर वे 6 साल तक दिल्ली में रहीं। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें भारत में राजनीतिक शरण दी थी। जब हालात सामान्य हुए तो शेख हसीना ने बांग्लादेश लौटकर अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का फैसला किया।

1981 से शुरू किया राजनीतिक करियर

शेख हसीना 16 फरवरी 1981 को अवामी लीग की अध्यक्ष चुनी गईं। इसके बाद मई 1981 में वह भारत से बांग्लादेश पहुंचीं। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। हालाँकि, 1980 का दशक उनके लिए अच्छा नहीं था। वह अलग-अलग जगहों पर हिरासत में रहीं। नवंबर 1984 तक उन्हें घर में ही नजरबंद रखा गया। इन सबके बावजूद शेख हसीना ने हार नहीं मानी। उनके नेतृत्व में अवामी लीग ने 1986 के चुनावों में हिस्सा लिया। शेख हसीना संसद में विपक्ष की नेता चुनी गईं।

प्रधानमंत्री बनने का सफर

शेख हसीना 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने 2001 तक सत्ता संभाली। इसके बाद 2008 में वह दोबारा पीएम बनीं। फिर 2014, 2018 और 2024 में भी आम चुनाव जीतकर वे प्रधानमंत्री बनीं।

आरक्षण को लेकर भड़क उठी हिंसा

बांग्लादेश में ताजा हिंसा आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद भड़की है। इस हिंसा में अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आरक्षण फैसले को बदल दिया है। इसके बावजूद बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन नहीं रुके। प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर ढाका में मार्च भी निकाला। 5 अगस्त को शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया।

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