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  • श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में मुख्यअतिथि होगीं राष्ट्रपति मुर्मू

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    श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में मुख्यअतिथि होगीं राष्ट्रपति मुर्मू

    -कुल 135 छात्रों की प्रदान की जायेगी डिग्री, 6 गोल्ड मैडलिस्ट को राष्ट्रपति प्रदान करेंगी डिग्री

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय अत्यन्त हर्षोल्लास पूर्वक प्रथम दीक्षान्त समारोह का आयोजन कर रहा है। इस दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय की विजिटर तथा भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित होगी और छात्रों को सम्बोधित करेंगी। इस अवसर पर भारत सरकार के शिक्षा तथा कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मन्त्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, विशिष्टातिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. हरिगौतम जी की अनुपस्थिति में कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक जी करेंगे।

    इस उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने दीक्षान्त समारोह के विषय में बताया कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित होने के पश्चात् यह प्रथम दीक्षान्त समारोह आयोजित किया जा रहा है। इससे पूर्व मानित विश्वविद्यालय के रूप में 17 दीक्षान्त समारोह आयोजित किये जा चुके हैं, जिनमें मुख्यातिथि के रूप में पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द, स्व. श्री शंकरदयाल शर्मा, डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, पूर्व मानव संसाधन विकास मन्त्री श्रीमती स्मृति ईरानी जैसे गणमान्य व्यक्ति दीक्षान्त समारोह की शोभा बढा चुके हैं। इस दीक्षान्त समारोह में विद्यावारिधि, विशिष्टाचार्य, आचार्य, शास्त्री, अंशकालीन पाठ्याम आदि की 4423 उपाधियाँ प्रदान की जायेंगी। सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 6 छात्रों को स्वर्णपदक से विभूषित किया जायेगा। ध्यातव्य है कि 08 अक्टूबर सन् 1962 को विजयादशमी के दिन तत्कालीन प्रधानमन्त्री स्व. श्री लालबहादुर शास्त्री जी के संरक्षकत्व में स्थापित संस्कृत विद्यापीठ, पूर्वप्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँन्धी के द्वारा सम्पोषित होकर 30 अप्रैल 2020 को माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन तथा तत्कालीन शिक्षामन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अथक प्रयास के फलस्वरूप केन्द्रीय विश्वविद्यालय बना।

    पूर्व में कुलपति के रूप में स्व. डॉ. मण्डन मिश्र, स्व. प्रो. वाचस्पति उपाध्याय तथा प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय ने इस संस्कृत विद्यापीठ को नई ऊँचाईयाँ प्रदान की है। इस विश्वविद्यालय में देश के विभिन्न स्थानों से छात्र वेद, उपनिषद्, दर्शन, योग, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, साहित्य, व्याकरण, धर्मशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, प्राकृतभाषा आदि विषयों में अध्ययन एवं शोधकार्य करने आते हैं। संस्कृत्त क्षेत्र में शोधानुसन्धान एवं शिक्षण- प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय का विशिष्ट स्थान है।

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