
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/यूपी/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- वेस्ट यूपी में किसान आंदोलन के बाद से तेजी से बदली परिस्थितियों को भाजपा के अनुकूल ढालने के लिए इन दिनो सीएम योगी पश्चिम उत्तर प्रदेश के दौरे पर है। पश्चिमी यूपी की राजनीति में पल-पल समीकरण बदल रहे हैं। जिसतरह से किसान आंदोलन के तहत भाजपा को हासिये पर लाने का टिकैत ने काम किया है और उसी के सहारे अब रालोद व सपा ने भी भाजपा को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ठीक उसके विपरीत अब सीएम योगी ने टिकैत व रालोद-सपा को जवाब देने के लिए गुंडाराज, पलायन, लव जिहाद जैसे पश्चिम यूपी में संवेदनशील रहे मुद्दों पर अपना कार्ड खेल दिया है। उन्होने इस दौरान कैराना जाकर उन लोगों से मुलाकात की जो पलायन के बाद कुछ समय पहले ही अपने घरों को वापिस लौटे हैं। सीएम योगी ने इस मौके पर सख्त संदेश देते हुए कहा कि अपराधी अपने मंसूबे बदल ले वर्ना उन्हे उपर भेज दिया जायेगा। इस मुलाकात में सीएम योगी ने अपराधियों पर लगाम कसने, बिना तुष्टिकरण के काम करने और आम लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के अपने वादे को फिर दोहराया।
उनके इस दौरे से साफ था कि वह आने वाले दिनों में शामली, कैराना से हिंदू समुदाय के कथित पलायन जैसे मुद्दों को आगे बढ़ाने वाले हैं। माना जाता है कि ऐसे मुद्दों से पश्चिम यूपी में ध्रुवीकरण में इजाफा होता है। 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद इसका असर देखने को मिला था और पूरे पश्चिम यूपी में भाजपा को बढ़त मिली थी। अब किसान आंदोलन के बाद से जाट समुदाय की नाराजगी, मुस्लिम मतदाताओं की सपा के पक्ष में लामबंदी की आशंका को देखते हुए भाजपा ने फिर से इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इसी सियासी समझ के चलते योगी आदित्यनाथ सोमवार को कैराना पहुंचे थे।
सिर्फ योगी आदित्यनाथ ही नहीं बल्कि पिछले दिनों अमित शाह ने भी हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, सुरक्षा जैसे मसलों पर यूपी चुनाव की टोन सेट करने का प्रयास किया था। उन्होंने लखनऊ में पार्टी के सदस्यता अभियान को लेकर हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि सीएम योगी के नाम से ही गुंडे डरते हैं। अमित शाह ने कहा था कि आज यूपी में दूरबीन से खोजने पर भी बदमाश नजर नहीं आते हैं। इससे पहले जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में यूनिवर्सिटी के उद्घाटन के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी गुंडाराज समाप्त करने के लिए सीएम योगी की जमकर तारीफ की थी।
वहीं राजनीतिक विश्लेषक लगातार दोहरा रहे थे कि किसान आंदोलन के बाद से पश्चिम यूपी में एक बार फिर से जाट और मुस्लिमों के बीच एकता की स्थिति पैदा होने लगी थी, जिनके बीच मुजफ्फरनगर के कवाल कांड के बाद बिखराव की स्थिति थी। ऐसे में भाजपा की पलायन जैसे मुद्दों पर आगे बढ़ने की रणनीति से इसमें एक बार फिर से दरार पैदा हो सकती है। बता दें कि गुंडाराज, पलायन, लव जिहाद जैसे मुद्दे हमेशा ही पश्चिम यूपी में संवेदनशील रहे हैं।
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