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    पूर्व घोषणा के अनुसार अभय सिंह चैटाला ने स्पीकर को भेजा इस्तीफा, जेजेपी पर बढ़ा दबाव

    NMDesk

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव और हरियाणा के ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चैटाला ने सोमवार को अपनी पूर्व घोषणा के अनुरूप किसान आंदोलन के समर्थन में हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को ई-मेल कर विधायक पद से अपना इस्तीफा भेज दिया है। साथ ही उन्होने कहा कि यदि तीनों कृषि बिल 26 जनवरी तक वापिस नही होेते है तो इसे स्वीकार किया जाये। चैटाला परिवार के इस कदम से अब जेजेपी पर काफी दबाव बढ़ गया है। अब आने वाला समय ही बतायेगा की जेजेपी भाजपा के साथ रहेगी या किसानों के साथ।
    अभय चैटाला ने कहा कि चैधरी देवी लाल जी ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया, आज वही परिस्थितियां देश-प्रदेश में फिर से खड़ी हो गई हैं। किसानों पर आए इस संकट की घड़ी में उनका यह दायित्व बनता है कि वे हर संभव प्रयास करें ताकि किसानों के भविष्य और अस्तित्व पर आए खतरे को टाला जा सके।
    उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि केंद्र की सरकार ने असांविधानिक व अलोकतांत्रिक तरीके से तीन कृषि कानून किसानों पर थोप दिए हैं जिसका विरोध देशभर में हो रहा है। इन कृषि कानूनों के विरोध और आंदोलन को अब तक 47 से अधिक दिन हो गए हैं और कड़ाके की ठंड में लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। अब तक भीषण ठंड के कारण साठ से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। केंद्र की सरकार किसान संगठनों से आठ दौर की वार्ता कर चुकी है लेकिन अभी तक सरकार ने इन काले कानूनों को वापस लेने के पर सहमति नहीं दिखाई है।
    इनेलो नेता ने कहा कि सरकार ने जिस तरह की परिस्थितियां बनाई हैं, उन्हें देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में मैं कोई ऐसी भूमिका निभा सकता हूं जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके। अतरू एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजदूगी कोई महत्व नहीं रखती। यदि भारत सरकार इन तीन काले कानूनों को 26 जनवरी, 2021 तक वापस नहीं लेती तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग पत्र समझा जाए। उन्होंने दावा किया कि उनके इस्तीफा देने के बाद हरियाणा विधानसभा से इस्तीफा देने वालों की झड़ी लग जाएगी।
    उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने उनसे कहा है कि उनके इस्तीफा देने से ही सही मायने में चैधरी देवीलाल की विरासत आगे बढ़ेगी क्योंकि चैधरी देवीलाल ने भी जनता और किसानों के विरोध में जब भी कोई निर्णय हुए, हमेशा प्राथमिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दिया था।

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