कोरोना से लोगों के प्राण बचायेगा आईआईटी रूड़की का प्राण वायु वेंटीलेटर

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October 18, 2024

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कोरोना से लोगों के प्राण बचायेगा आईआईटी रूड़की का प्राण वायु वेंटीलेटर

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/मनोजीत सिंह/भावना शर्मा/- वैसे तो देश के विकास में आईआईटी क्षेत्र का काफी अहम योगदान रहा है।लेकिन इस संकट की घड़ी में जब देश कोरोना से लड़ाई की तैयारी में एकजुट हो रहा है और केंद्र व राज्य सरकारें अपने हथियारों को जांच रही है और लोगों के ईलाज के लिए विदेशों से कुछ अहम उपकरणों को मंगाने की तैयारी कर रही है। तो ऐसे में आईआईटी रूड़की से आया संदेश काफी राहत भरा लग रहा है। दरअसल आईआईटी रूड़की ने कोरोना से लड़ाई में लोगों के उपचार के लिए एक सस्ता व प्रभावशाली वेंटिलेटर बनाने का दावा किया है। जहां विदेशों में एक वेंटिलेटर की लागत करोड़ों में है वहीं रूड़की के इस प्राण वायु वेंटिलेटर की विनिर्माण लागत मात्र 25000 रूपये आने की संभावना व्यक्त की जा रही है और इसे मात्र एक सप्ताह के अंदर तैयार किया जा सकता है।

रूड़की का प्राण वायु वेंटिलेटर |


                                              इस संबंध में जानकारी देते हुए एम्स ऋषिकेश के डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि यह खोज ऐसे समय में हुई है जब देश को इसकी काफी जरूरत थी। क्योंकि विदेशों से भी अगर वेंटिलेटर मंगाये जाये तो काफी समय लग जायेगा। और इस महामारी के बीच सभी देशों को आज अधिक से अधिक वेंटिलेटर की जरूरत है। उन्होने कहा कि ईटली जैसे विकसित देश भी महामारी के संकट में मेडिकेयर यूनिटों के अभाव से जूझ रहे है तो हमारे देश में अगर वायरस फैलता है तो इसके क्या परिणाम होंगे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होने कहा कि रूड़की आईआईटी की रिसर्च टीम ने वाकई काबिले तारीफ काम किया है जिसने लॉक डाउन के दौरान व देश की सबसे अहम जरूरत को देखते हुए इतने कम समय में यह वेंटिलेटर तैयार किया है।

आईआईटी रूड़की |

उन्होने बताया कि ऋषिकेश एम्स से वह स्वयं इस रिसर्च में शामिल हुए और आईआईटी रूड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो. अरूप कुमार दास ने रिसर्च टीम के साथ पूरा सहयोग कर इस वेंटिलेटर को तैयार कराया। आज देश में कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए संकटग्रस्त लोगों के ईलाज के लिए एक त्वरित उपकरण की जरूरत थी। जो कम समय में तैयार किया जा सके। इस योजना पर काम शुरू करते हुए वेंटिलेटर पर अनुसंधान विकास लॉक डाउन के दौरान ही शुरू हुआ। जिसमें रिसर्च टीम के सामने माइक्रोप्रोसेसर-नियंत्रित गैर-रिटर्न वाल्व, सोलनॉइड वाल्व, वन-वे वाल्व आदि जैसे कई भागों के विकास की आवश्यकता थी जिसपर तेजी से काम किया गया और टीम ने एक कम लागत वाला पोर्टेबल वेंटिलटर विकसित किया जो कई मायनों में विदेशी वेंटिलेटरों की अपेक्षा बेहतर परिणाम देने में सक्षम है। टीम ने मिलकर इसका नाम प्राण वायु पोर्टेबल वेंटिलेटर रखा है। अभी तक इस वेंटिलेटर के सभी परिक्षण सफल रहे हैं। यह एक बंद लूप वेंटिलेटर है जो हर आयु वर्ग के मरीजों के लिए लाभकारी साबित होगा। टीम ने बताया कि यह वेंटिलेटर अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। प्राण वायु वेंटिलेटर मरीज को आवश्यक मात्रा में हवा पंहुचाने के हिसाब से तैयार किया गया है। इसकी ऑटोमेटिक प्रक्रिया दबाव और सांस छोड़ते समय हवा के प्रवाह की दर को नियंत्रित करती है, इसके अतिरिक्त इस वेंटिलेटर का एक हिस्सा खुली हवा में रखने की जरूरत भी नही है जैसा की दूसरे वेंटिलेटर में होता है अर्थात् इसे काम करने के लिए संपीड़ित हवा की आवश्यकता नही होती है और विशेष रूप से ऐसे मामलों में उपयोगी हो सकती है जहां अस्पताल के वार्ड या खुले क्षेत्र आईसीयू में परिवर्तित करने पड़ते हैं। हवा संपीड़ित है और वायु कंप्रेसर यांत्रिक मात्रा को सही मात्रा में कम करने के लिए काम करता है। यहां बता दें कि कंप्रेसर में दबाव बढ़ने के बाद हवा को संपीड़ित हवा कहा जाता है। संपीड़ित हवा शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह सुरक्षित और विश्वसनीय भी है क्योंकि यह रीयल-टाइम स्पिरोमेट्री और अलार्म से सुसज्जित है। यह स्वचालित रूप से एक अलार्म स्टिम के साथ जुड़ी है जो उच्च दबाव को सीमित कर सकता है। ऐसे समय में भारत जैसे विकासशील देश को इसका काफी फायदा मिल सकता है। उन्होने कहा कि प्राण वायु वेंटिलेटर की सभी जांच व परिक्षण अभी तक सफल रहे है। अब इंतजार है इसे सरकार से मान्यता मिलने का और इसके बनाने के आदेश का। इसकी सबसे अहम बात यह है कि इसको तैयार करने में मात्र एक सप्ताह का समय लगता है। हमारी रिसर्च टीम ने इतने कम समय में देश के लिए यह करके दिखा दिया है कि भारत के इंजिनियर व विशेषज्ञ भी किसी से कम नही है।

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