नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार एवं स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन “आजादी का अमृत महोत्सव राष्ट्रीय एकता और अखिल भारतीय शब्दावली“ विषय पर श्रावण, अष्टमी, कृष्ण पक्ष कलियुगाब्द 5125 तदानुसार 8 अगस्त 2023 को हुआ।
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. हरेन्द्र कुमार, प्राचार्य सत्यवती कॉलेज, विशिष्ट अतिथि श्री जे. के जेठानी, निदेशक नवीन और नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार जबकि अध्यक्षता प्रो. गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष, वैज्ञानिक तथा तकनीक शब्दावली आयोग, रहे। अपने संबोधन में जय सिंह रावत ने आजादी का अमृत महोत्सव की संकल्पना, उद्देश्यों, नई शिक्षा नीति आदि पर प्रकाश डाला। साथ ही वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली के कार्यों पर प्रकाश डाला। हिंदी भाषा के तकनीकि कौशल पर काम करना, शब्दावली के उचित प्रयोग, आयोग की पत्रिका ज्ञान गरिमा सिंधु एवम विज्ञान गरिमा सिंधु की उपयोगिता पर प्रकाश डाले।
कॉलेज के प्राचार्य प्रो प्रवीन गर्ग ने अपने संबोधन में कहा की हिन्दी के उपयोग प्रचार प्रसार में होना चाहिए, साथ ही गौरवशाली तरीके से उपयोग करें। प्रो प्रवीण गर्ग जी ने नई शब्दावली का प्रयोग करने पर जोर दिए। विशिष्ट अतिथि श्री जे के जेठानी, निदेशक नवीन और नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार ने अमृत तत्वों की चर्चा की जिसमे नवीनीकरण, रहन सहन, जलवायु परिवर्तन के हिसाब से हो! भारतीय संरक्षण की बात करते है और संसाधनों के दुरुपयोग को बढ़ावा नही देते हैं।
प्रो. गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ने अपने संबोधन में बताया की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के डिजिटल तरीके से उपयोग करने पर विचार प्रस्तुत किया। साथ ही भारतीय भाषाओं के पुस्तक और उस पुस्तक में शब्दावली के चयन पर जोर दिया। प्रो गिरीश ने लगभग 30 लाख शब्दो का निर्माण होने की जानकारी दी।
मुख्य अतिथि प्रो हरेंद्र कुमार जी, प्राचार्य सत्यवती कॉलेज ने बताया की तकनीकी में सभी भारतीय भाषा का प्रारूप मौजूद है। भाषा, किसी भी देश की राष्ट्रीय एकता की बात करता है। भाषा के शब्द चलायमान है उनको स्थान दे। भाषा की यांत्रिकीकरण से किसी भी तरह बचा जाए। पहले अंग्रेजी में लिखा जाता है फिर अनुवाद हिन्दी में होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भाषा की पहलू पर जोर दिया गया है। भाषा राष्ट्रीय एकता के लिए जरूरी है। हमउन शब्दो का प्रयोग करे जो आसानी से समझ सके। भाषाओं में दुर्हुता का भाषा का प्रयोग नहीं करे। एक सार्थक प्रयास करना होगा। और भाषा के यंत्रीकरण से बचना होगा।
तकनीकि सत्र के मुख्य वक्ता प्रो रमा, प्राचार्य हंसराज कॉलेज ने अपने वक्तव्य में बताया की अमृत काल की विशेषताओं की ओर ध्यान दिलाया, साथ ही उन्होंने यह भी कहा की जितने दक्षिण भारत में हिन्दी का प्रचार प्रसार की जोर दिया उतना किसी राज्य में नही किया। उनकी बस एक ही शर्त है हि उतर भारत के लोग दक्षिण की किसी एक भाषा को सीखे।
हिन्दी और अंग्रेजी मौसेरी बहने है। बिना एक दूसरे के रह नही सकती। साथ ही यदि 75 वर्ष में यदि सही नियत से बात की गई होती तो आज शिक्षा नीति में भाषा को प्राथमिकता देने की बात कह गई। उन्होंने अपने संबोधन में बताया की भारतीय भाषा को महत्व देना चाहिए। अनुसूची में 22 भाषाऐ और इन भाषाओं का अपना सौदर्य है। हमारी शिक्षा भारतीय भाषा में होनी चाहिए। मौलिक सोच एवं काम अपनी भाषा मे होनी चाहिए। भारतीय भाषाओं में अध्ययन का काम करना चाहिए! हमे तोडने का नही जोडने का काम करना चाहिये। राष्ट्र की एकता भूगोल का नही भाषा का होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया की वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग प्रत्येक कॉलेज के पास शब्दावली सूची भेजे इससे अधिकतर विधार्थी को अवगत कराया जाय।
-वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार एवं स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन
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