
डॉ सरिता चंद्रा
बस इतना ही काफी है
सुना है हमारी बातें और चर्चे होने पर
आज भी तुम्हारे चेहरे पर चमक आ जाती है
तुम आज भी हमें याद करके मुस्कुराते हो
जीने के लिए बस इतना ही काफी है
लोग कहते हैं कहीं भी हमारी बातें शुरू होती है तो
तुम्हारे जुबाँ से हमारी तारीफें निकलती जाती है
चलो बहानों से ही सही हाल चाल हमारा पूछते तो हो
जीने के लिए बस इतना ही काफी है
जाने अनजाने में किसी न किसी बहाने से
आज भी तुम्हारे बीच हमारी बातें हो जाती है
आज तक तुम्हारे अंदर जिन्दा हैं हम
जीने के लिए बस इतना ही काफी है
वजह नहीं बची होगी हमें याद करने की फिर भी
हर जिक्र में जिक्र हमारी ही हो जाती है
तुम्हारे दिल में आज भी जगह है हमारी
जीने के लिए बस इतना ही काफी है
लेखिका- डॉ सरिता चंद्रा
फाउंडर. सुमेर सिंह आर्य संस्थान
बालको नगर कोरबा;छतीसगढ़
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