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    अब डीआरडीओ ने किया कोरोना की दवा बनाने का दावा

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/कानपुर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश में वैसे तो कई कंपनियां कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन पर का म कर रही है और कुछ अभी इस पर शोध ही कर रही है। मगर अब डीआडीओ ने भी कोरोना की दवा बनाने का दावा किया है और जिसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दे दी है। जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि कोरोना से बचाव के लिए जल्द दवा सामने आ सकती है। डीआरडीओ ने यूपी सरकार से किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ, गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक मेडिकल कॉलेज कानपुर और बनारस हिदू विश्वविद्यालय वाराणसी के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में बनाई दवा के क्लीनिक ट्रायल के लिए अनुमति मांगी थी। शासन ने केजीएमयू और जीएसवीएम में परीक्षण की अनुमति दे दी है।
                                प्रदेश सरकार को भेजे पत्र में डीआरडीओ ने कहा है कि सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्युलर बायोलॉजी हैदराबाद और राष्ट्रीय विषाणु संस्थान पुणे में सार्स-कोव-2 विषाणु में इस दवा का लैब परीक्षण किया गया है। यह दवा वायरस को खत्म करने में बहुत कारगर साबित हुई है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने केजीएमयू और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति का पत्र भेजा है। मेडिकल कॉलेज की एथिकल कमेटी से अब अनुमति मिलते ही मरीजों पर इस दवा का परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा। दवा के परीक्षण का मरीजों पर प्रभाव की स्टडी करने वाली टीम के मुख्य गाइड ने कॉलेज की एथिकल कमेटी को प्रस्ताव भेजा है।

    एनस्थीसिया एक्सपर्ट करेंगे स्टडी
    कोविड-19 आईसीयू में भर्ती कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष की देखरेख में चल रहा है। इसलिए दवा के ट्रायल की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई है। दवा का मरीज पर परीक्षण से लेकर उसके प्रभाव की स्टडी उन्हें ही करना है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एनेस्थिसिया विभाग के हेड प्रो. अपूर्व अग्रवाल ने बताया कि डीआरडीओ ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए दवा खोज ली है। उसकी डी-कोडिंग स्टडी के लिए शासन से अनुमति मिल गई है। ट्रायल से पहले कॉलेज की एथिकल कमेटी से अप्रूवल मांगा गया है।

    डॉ. रेड्डीज लैब को दवा निर्माण की जिम्मेदारी
    डीआरडीओ ने दवा निर्माण की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैब को दी है। चिकित्सकीय परीक्षण का जिम्मा नवीटास लाइफ साइंसेज को दिया गया है जो केजीएमयू और जीएसवीएम से संपर्क करेगी।

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