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    टिहरी गढ़वाल की बेटी मेजर सुमन को यून का सम्मान, देश का नाम किया गर्व से ऊँचा

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देहरादून/नई दिल्ली/मनोजीत सिंह/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देवभूमि उत्तराखण्ड ने एक बार फिर से देश का नाम गर्व से ऊँचा किया है। देश का नाम रोशन करने का जिम्मा इस बार पहाड़ की बेटी और इंडियन आर्मी की अधिकारी मेजर सुमन गवानी है। जिनकी सफलता के चर्चे संयुक्त राष्ट्र तक में गूंज रहे हैं। भारतीय आर्मी में तैनात मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र के खास अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। ऐसा पहली बार होगा जब किसी भारतीय शांतिदूत को ये सम्मान हासिल हो रहा है। मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवॉर्ड के लिए चुना गया है। ये सम्मान ऐसा है जो यूएन के शांति मिशन में विशिष्ट योगदान देने के लिए दिया जाता है।
                                  भारतीय सेना विदेशों में शांति मिशन के लिए अपनी सैनकों को भेजती रहती है. उसी मिशन के तहत मेजर सुमन को सूडान भेजा गया था. अभी सुमन दिल्ली में पोस्टेड हैं. भारतीय आर्मी में मेजर सुमन गवानी का सीधा ताल्लुक उत्तराखंड के टिहरी जिले से है. मेजर सुमन टिहरी जिले में ब्लॉक भिलंगना के पोखार गांव की रहने वाली हैं। मेजर सुमन की शुरुआती पढ़ाई उत्तरकाशी में हुई जिसके बाद उन्होंने देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। साल 2011 में उनको इंडियन आर्मी का हिस्सा बनने का मौका मिला। मेजर सुमन के पिता प्रेम सिंह गवानी फायर डिपार्टमेंट के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं उन्हें बेटी के इस काम पर फक्र है। हो भी क्योँ न हो राज्य, देश का नाम जो रोशन किया है।

    मेजर सुमन गवानी

    मेजर सुमन गवानीः-
    उत्तराखंड की मेजर सुमन गवानी इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुना गया है। मेजर सुमन की ये उपलब्धि इसलिए खास और हर मायने में बड़ी है, क्योंकि किसी भारतीय शांतिदूत को पहली बार इस सम्मान से नवाजा जा रहा है। 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मेजर सुमन को यह सम्मान प्रदान करेंगे। मेजर सुमन संयुक्त राष्ट्र के मिशन के तहत अफ्रीकी देश दक्षिण सूडान में तैनात रह चुकी हैं। हालांकि ये पुरस्कार ग्रहण करने के लिए सुमन को न्यूयार्क जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते उन्हें यात्रा रद्द करनी पड़ी। मेजर सुमन की ये उपलब्धि उन बेटियों के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं, जिन्होंने भारतीय आर्मी ज्वाइन करने के सपने देखें हैं।

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