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नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-अर्बन हाउसिंग फॉर ऑल’ की रफ्तार हरियाणा में फिलहाल धीमी है। यही हालात रहे तो प्रदेश में 2022 तक ‘हर सिर पर छत’ का लक्ष्य पूरा होना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इस प्रोजेक्ट का जिम्मा प्रदेश सरकार ने हरियाणा शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय को दिया हुआ है।
जिसके तहत प्रदेश के सभी नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाएं इस योजना के तहत गरीबों और जरूरतमंद लोगों (सरकारी कर्मचारी नहीं) को शहरी क्षेत्र में घर बनाने के लिए वित्तीय मदद उपलब्ध करवा रहे हैं। इसके अंतर्गत जमीन (100 गज से कम) खुद लाभार्थी की होगी। जिस पर दो कमरे, एक रसोई, एक टॉयलेट व एक बाथरूम बनाने के लिए सरकार उसे तीन किस्तों (एक-एक लाख व 50 हजार) में ढाई लाख रुपये मुहैय्या करवाएगी। इस प्रोजेक्ट की नियमित रिपोर्ट निकायों द्वारा प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भेजी जाती है। लेकिन सूबे में इस परियोजना की वर्तमान स्थिति यदि देखी जाए तो अपेक्षाकृत रफ्तार धीमी है। प्रदेश सरकार द्वारा इसकी समीक्षा करने के बाद विभाग के अफसरों को इस परियोजना के काम में और तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अर्बन-हाउसिंग फॉर आल के तहत हरियाणा में 538 प्रोजेक्ट प्रपोजल विचाराधीन है। इसके तहत अभी तक हरियाणा के शहरी इलाकों में कुल 273840 आशियाने बनाए जाने प्रस्तावित हैं। जिसमें से अभी तक सिर्फ 27596 मकान बनकर तैयार हुए हैं। जो कुल टारगेट का करीब 10 फीसद है। इसके अलावा 54361 मकान अभी विचाराधीन हैं। प्रोजेक्ट के तहत बनाए जाने वाले कुल आशियानों के लिए 27058.59 करोड़ रुपये का बजट तय है। 4399.91 करोड़ केंद्र ने सेक्शन कर दिया है। जिसमें से अभी तक सिर्फ 934.95 करोड़ रुपये ही रीलिज हो पाए हैं। उधर, सरकारी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री भी प्रोजेक्ट की समीक्षा कर रहे हैं और प्रदेश में प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार से सीएम नाखुश भी हैं। जिसके चलते आला अधिकारियों को प्रोजेक्ट पर काम की रफ्तार तेज करने के निर्देश दिए हैं।
घर बनाने के लिए सरकार तीन किस्तों में पैसा देती है। पहली व दूसरी किस्त एक-एक लाख की दी जाती है। जिससे मकान का अधिकतर काम खत्म हो जाता है। मगर 50 हजार रुपये की तीसरी किस्त मकान को पूरी तरह से तैयार कर पोताई के बाद उसकी फोटो निकाय को उपलब्ध करवाने के बाद मिलती है। सूत्रों ने बताया कि बहुत से मामलों में तीसरी किस्त जारी करने में ही अड़चन फंसी हुई हैं। जिस वजह से मकान पूरी तरह कंपलीट नहीं माना जाता है और केंद्र को भेजे जानी वाली रिपोर्ट में भी मकान अधूरा ही माना जाता है।
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