
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/गोवा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- आईआईटी परिसर को लेकर चल रहे विरोध के चलते गोवा सरकार ने इसबार ग्रामीणों की मांग को मान लिया है। जिसके चलते बुधवार को गोवा कैबिनेट ने आईआईटी की जमीन में से थोड़े से हिस्से पर मंदिर बनाने की ग्रामीणों की मांग को मान लिया है और उसे चिन्हित कर अलग कर दिया है। गोवा सरकार ने 10 लाख वर्ग मीटर की जमीन में से 45,000 वर्ग मीटर का हिस्सा गुलेली गांव वालो को शांत करने के लिए दे दिया है। अब इस जमीन पर ग्रामीण मंदिर का निर्माण कर सकेंगे।
जिस तरह से दो गांवों में आईआईटी को लेकर विरोध हुआ था उसी तरह के विरोध से बचने के लिए गोवा सरकार ने ग्रामीणों की मांग को तुरंत मान लिया है क्योंकि गुलेली गांव वालों ने भी गांव में आईआईटी परिसर बनाने में आपत्ति जताई थी। गोवा सरकार ने गुलेली गांव में आईआईटी बनाने को लेकर जमीन के आवंटन का एलान जुलाई में ही कर दिया था, लेकिन केंद्र सरकार के फैसले का अभी भी इंतजार है क्योंकि मौजूदा समय में दक्षिण गोवा के फार्मागुड़ी गांव में स्थित गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज में ही आईआईटी का परिसर बना है। दो गांवों में जमीन देखने के बाद गुलेली तीसरा गांव है, जिस सात साल में आईआईटी संस्थान के परिसर के लिए चिन्हित किया गया है। बुधवार को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि हमने धार्मिक गतिविधियों के लिए 45,000 वर्ग मीटर की जमीन को चिन्हित कर लिया है। इस जगह को अलग कर दिया जाएगा और इसके लिए अंतिम योजना तैयार की जाएगी। ऐसा गांव वालों की रुचि को देखकर और उन्हें शांत करने के लिए किया गया है। ये गांव वालों की रुचि है कि कुछ जगह पर मंदिर बन जाए। गोवा के स्वास्थ्य मंत्री और सांसद विश्वाजित राणे ने कहा कि ये विवाद मंदिर के लिए आवंटित की गई जमीन के लिए हुआ क्योंकि उस जगह पर गांव वाले धार्मिक कार्यक्रम करते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अब वहां कोई विवाद नहीं है और मंदिर के लिए अलग से जगह को चिन्हित कर लिया गया है। इस जगह से लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए ऐसी उम्मीद है कि ये विवाद अब सुलझ जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे अब नहीं लगता इस जगह को लेकर अब कोई विरोध या विवाद होगा।
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