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    किसानों का देशभर में चक्का जाम, पंजाब से हरियाणा और राजस्थान तक हाईवे पर गाड़ियां रोकीं

    -दिल्ली में 10 मेट्रो स्टेशन एहतियातन बंद किए

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 किसान संगठनों ने शनिवार को देशभर में चक्काजाम किया। उत्तर भारत के इलाकों में ज्यादा असर देखा गया। किसानों ने राजस्थान-हरियाणा के बीच शाहजहांपुर बॉर्डर पर जाम लगाया। दिया है। पंजाब में अमृतसर और मोहाली में किसान गाड़ियों को रोकने के लिए सड़कों पर बैठे। उधर, जम्मू-पठानकोट हाईवे पर भी किसानों ने गाड़ियों की आवाजाही रोकी।
    किसान संगठनों ने चक्काजाम का समय 12 बजे से 3 बजे तक निर्धारित किया था। इससे पहले ही दिल्ली में एहतियातन 10 मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए। इनमें मंडी हाउस, प्ज्व्, दिल्ली गेट, विश्वविद्यालय, खान मार्केट, नेहरू प्लेस, लाल किला, जामा मस्जिद, जनपथ और केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन शामिल हैं।
    चक्काजाम के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एंबुलेंस, स्कूल बस को नहीं गया। दिल्ली-छब्त्, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को इस जाम से अलग रखा गया। इस पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में तो हर दिन जाम जैसे हालात रहते हैं, ऐसे में यहां जाम की क्या जरूरत है। हालांकि, उन्होंने यूपी और उत्तराखंड को इससे अलग रखने की वजह नहीं बताई। यह जरूर कहा कि इन दोनों राज्यों से किसानों को स्टैंडबाई पर रखा गया है और उन्हें किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है।
    जॉइंट सीपी, दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पुलिस मुस्तैद है। अतिसंवेदनशील इलाकों में ब्ब्ज्ट कैमरे लगाए गए हैं।
    राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा- अन्नदाता का शांतिपूर्ण सत्याग्रह देशहित में है- ये तीन कानून सिर्फ किसान-मजदूर के लिए ही नहीं, जनता और देश के लिए भी घातक हैं। पूर्ण समर्थन!
    अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि केंद्र सरकार को गलतफहमी है कि कृषि कानूनों का विरोध केवल पंजाब में हो रहा है। देश के सभी किसान इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर इसके बावजूद वह (केंद्र सरकार) आंखें बंद करके इसे केवल पंजाब का विरोध बता रहे हैं तो इसके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता।
    राजस्थान- सत्ताधारी कांग्रेस ने किसानों के इस आंदोलन को पूरा समर्थन दिया है। कोटा में ट्रैक्टर रैली निकाली, अलवर में किसानों ने 10 से 12 जगहों पर पत्थर और कंटीली झाड़ियां डालकर नेशनल और स्टेट हाईवे जाम कर दिए।
    हरियाणा-पंजाब में स्कूलों की छुट्टियां कर दी गई। रोडवेज बसें बंद रहीं। भिवानी, जींद में 15, यमुनानगर में 12, करनाल में 10 और कैथल 5 जगहों पर चक्काजाम किया गया है। हिसार और पानीपत में नेशनल और स्टेट हाईवे जाम किए गए। उधर, पंजाब में भाजपा को छोड़कर सभी राजनैतिक दल जाम के समर्थन में हैं। संगरूर, बठिंडा, अमृतसर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, मुक्तसर, कपूरथला, गुरदासपुर और जालंधर के अलग-अलग इलाकों में में चक्काजाम किया गया।
    तेलंगाना- हैदराबाद में हाईवे पर चक्काजाम कराने जुटे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हटा दिया।
    महाराष्ट्र के ठाणे शहर में किसानों के समर्थन में भारतीय जयहिंद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भिवंडी-नासिक हाईवे पर जाम लगाया।

    गलती से सबक लेकर सुरक्षा बढ़ाई गई
    26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा की वजह से प्रशासन ज्यादा अलर्ट है। दिल्ली-छब्त् में पुलिस, पैरामिलिट्री और रिजर्व फोर्स के 50 हजार जवानों को तैनात किया गया है। दिल्ली में तैनात सभी यूनिट्स से कहा गया है कि वे अपनी बसों पर लोहे की जाली लगा लें, ताकि पथराव की स्थिति में बचा जा सके। चक्काजाम के दौरान किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए रोड नंबर 56, एनएच-24, विकास मार्ग, जीटी रोड, जायराबाद रोड पर पुलिस फोर्स तैनात की गई है। इन इलाकों में बैरिकेडिंग भी की गई है। दिल्ली में टीकरी बॉर्डर पर पुलिस आंदोलनकारियों पर ड्रोन से नजर रखे हुए है।

    चक्काजाम का ऐलान क्यों किया गया?
    एक फरवरी को पेश किए बजट में किसानों की मांग की अनदेखी करने और दिल्ली की सीमा पर हो रहे आंदोलन की जगहों पर इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ यह चक्काजाम किया जा रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के बाद से कई किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए। दिल्ली बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है। इन सबके खिलाफ यह जाम किया जा रहा है।

    किसान नेताओं की अपील- विरोध करें, शांति बनी रहे
    राकेश टिकैत-
    कुछ ताकतें आंदोलन को बदनाम करना चाहती हैं। 26 जनवरी को भी ऐसा हुआ था। इस बार और ज्यादा सजग रहने की जरूरत है। नजर रखें और साजिश करने वालों से बचें।

    दर्शनपाल-आंदोलन में लंबा चलने के लिए युवाओं का साथ जरूरी है। युवा अपने गुस्से पर काबू रखें। कोई भी पुलिस या किसी अधिकारी से टकराव न करें।

    बलबीर सिंह राजेवाल- शांति से ही जीत मिलेगी। कुछ लोग चाहते हैं कि हिंसा हो, इसलिए ज्यादा सतर्क रहें।

    गुरनाम सिंह चढ़ूनी- हमने अपने लोगों को मैसेज और फोन करके शांति बनाए रखने के लिए कहा है। सभी को यही बताया कि संयम रखेंगे तो ही शांति रहेगी।
    गाजीपुर बॉर्डर पर जिस जगह पुलिस ने सड़क पर कीलें लगाई हैं, वहीं पर किसानों ने शुक्रवार शाम मिट्टी डलवा दी। कहा कि सरकार कीलों के रूप में कांटे बिछा रही है, हम इसी जगह फूल लगा रहे हैं।

    राजस्थान में किसान पंचायतें हुईं, शामली में जुटे हजारों किसान
    आंदोलन को मजबूती देने के लिए शुक्रवार से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों की सीरीज शुरू की गई, जो फरवरी के आखिर तक चलेगी। इनका आयोजन राष्ट्रीय लोक दल की तरफ से किया जा रहा है। त्स्क् ने पिछले हफ्ते किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया था।
    उपाध्यक्ष जयंत चैधरी ने गुरुवार को कहा कि किसान पंचायतों का मकसद सरकार को यह बताना है कि यह एक बड़ा आंदोलन है। इसमें राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे किसानों तक पहुंचें और दूसरे लोगों को भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता बताएं। जयंत चैधरी ने शामली में हुई एक खाप पंचायत के दौरान यह बात कही। इस खाप में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी मौजूद थे। शामली में हजारों की संख्या में किसान खाप में शामिल हुए।
    किसानों के मसले पर लोकसभा में हंगामा, दो बार स्थगित की गई
    लोकसभा में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को नए कृषि कानून वापस लेने के लिए नारेबाजी की। हंगामे के चलते दिनभर में दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। गुरुवार को भी 9 विपक्षी दलों के 12 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों पर सदन में अलग से चर्चा की मांग रखी थी।

    सिंघु बॉर्डर पर लौटा 26 जनवरी की हिंसा का आरोपी सिधाना
    गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हिंसा भड़काने का आरोपी लक्खा सिधाना किसानों के देशव्यापी चक्काजाम से पहले पंजाब से दिल्ली लौट आया। लक्खा ने शुक्रवार शाम सिंघु बॉर्डर से ही सोशल मीडिया पर लाइव किया। उसने कहा कि पंजाब को ही इस किसान आंदोलन की अगुआई करनी चाहिए। उसने किसान नेताओं से भी अपील की है कि किसी को भी 32 जत्थेबंदियों की कमेटी से बाहर ना किया जाए।

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