Death Anniversary: देश की पहली महिला PM के दर्दनाक अंत की कहानी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 23, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

Death Anniversary: देश की पहली महिला PM के दर्दनाक अंत की कहानी

मानसी शर्मा /- आज 31 अक्टूबर को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 39वीं पुण्यतिथि है। 39 साल पहले आज ही के दिन देश में वो घटना घटी जिसने समूचे राष्ट्र को सन्न कर दिया था। ये सिर्फ एक प्रधानमंत्री की हत्या नहीं थी बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर एक प्रश्नचिह्न था।

इस मौके पर आज कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शक्ति स्थल पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अन्य नेताओं ने भी श्रद्धांजलि दी.

इन्दिरा गांधी के बचपन से शादी का सफर
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को एक कश्मीरी पंडित के वहां हुआ था वह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू की बेटी थी। बचपन से ही राजनीति उनकी जिंदगी पर हावी थी। बचपन में उन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने के लिए बच्चों के बाल चरखा संघ और बानर सेना की स्थापना की।

कहते हैं कि 1930 में इंदिरा गांधी की मिलाकात फिरोज ख़ान से हुई। उन्होंने अपने पिता की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ 1942 में फ़ीरोज़ से शादी कर ली, और उनके दो बच्चे संजय और राजीव हुए। दोनों की प्रेम कहानी बहुत चर्चित रही। दोनों के अलग-अलग धर्मो के होने की वजह से भारतीय राजनीति में खलबली मचने का डर जवाहरलाल नेहरू को भी सताने लगा था। इसलिए उन्होंने यह बात महात्मा गांधी से बताई और सलाह मांगी। महात्मा गांधी ने फिरोज को ‘गांधी’ सरनेम की उपाधि दे दी और इस तरह फिरोज खान, फिरोज गांधी बन गए और इंदिरा नेहरू, ‘इंदिरा गांधी’ बन गईं।

राजनिति में कब हुई Entry
1955 में इंदिरा गांधी कांग्रेस पार्टी की कार्य समिति सदस्य बनी उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व में उनकी सहायता की और 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। लेकिन 11 जनवरी, 1966 में उनकी अचानक मृत्यु हो गई। जिसके बाद इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी का नेता चुना किया। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पार्टी के दक्षिण पंथी वर्ग के भीतर लगातार चुनौतियों के बीच इन्दिरा गांधी ने उन्हें हराया और भारत की प्रधानमंत्री बनी। अपने कार्यकाल के शुरुआती चरण में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के हाथों की कठपुतली मात्रा होने की आलोचना भी मिली।

बैंकों का राष्ट्रीयकरण (1969)
19 जुलाई, 1969 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया। यह अध्यादेश देश के 14 निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिए था। अध्यादेश पारित होने के बाद इन बैंकों का मालिकाना हक सरकार के पास चला गया।

पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध के बाद भारत की खराब राजकोषीय स्थिति, सुख और सार्वजनिक निवेश की कमी के कारण की बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ। इलाहाबाद बैंक बैंक आफ इंडिया बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र सेंट्रल बैंक आफ इंडिया देना बैंक इंडियन ओवरसीज बैंक पंजाब नेशनल बैंक यूको बैंक यूनियन बैंक केनरा बैंक इंडियन बैंक बैंक ऑफ़ बड़ोदा आदि शामिल थे।

पाकिस्तान के दो टुकड़े (1971)
इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया है जिसकी टीस हमेशा उसको महसूस होती रहेगी। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ जिसमें न सिर्फ पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई बल्कि उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बना लिया गया था।

प्रिवी पर्स यानी राजभत्ते को खत्म करना
आजादी के बाद भारत में अपनी रियासतों का विलय करने वाले राजपरिवारों को एक निश्चित रकम देने की शुरुआत की गई थी। इस राशि को राजभत्ता या प्रिवी पर्स कहा जाता था। इंदिरा गांधी ने इसे सरकारी धन की बर्बादी बताया था। उन्होंने साल 1971 में संविधान में संशोधन करके राजभत्ते की इस प्रथा को खत्म किया।

1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण
18 मई, 1974 भारतीय इतिहास का अहम दिन था। इसी दिन भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को हैरत में डाल दिया था। इस ऑपरेशन का नाम स्माइलिंग बुद्धा था।

आपातकाल स्थिति (1975-77)
इंदिरा गांधी के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। उस याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला दिया था। छह सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी। उनको संसद से भी इस्तीफा देने को कहा गया था। लेकिन इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट का फैसला मानने से इनकार कर दिया। उसके बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शन होने लगे और उनसे इस्तीफा की मांग की जाने लगी। इस सबको देखते हुए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगा दिया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मीडिया पर सख्त सेंसरशिप लगा दी गई। पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया और नागरिकों को जेल में डाल दिया। भारतीय लोकतंत्र में इस दिन को ‘काला दिन’ कहा जाता है।

ऑपरेशन मेघदूत
1984 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था और पाकिस्तान की कब्र खोदी थी। इस ऑपरेशन की मंजूरी इंदिरा गांधी ने ही दी थी। दरअसल पाकिस्तान ने 17 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई थी जिसकी जानकारी भारत को लग गई। भारत ने उससे पहले सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई और इस ऑपरेशन का कोड नाम ‘ऑपरेशन मेघदूत’ था।

ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)
जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सैनिक भारत का बंटवारा करवाना चाहते थे। उन लोगों की मांग थी कि पंजाबियों के लिए अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाया जाए। भिंडरावाले के साथी गोल्डन टेंपल में छिपे हुए थे। उन आतंकियों को मार गिराने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ चलाया। इस ऑपरेशन में भिंडरावाले और उसके साथियों को मार गिराया गया। साथ ही कुछ आम नागरिक भी मारे गए थे। बाद में इसी ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के मकसद से इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गाँधी के दो सिख अंगरक्षक, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को नई दिल्ली के सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर सुबह करीब 9:30 बजे गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी। इन्दिरा गाँधी को उनके सरकारी कार में अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। 3 नवंबर को राज घाट के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया और उस जगह का नाम शक्तिस्थल रखा गया। उस दिन को याद कर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज इस मौके पर शक्ति स्थल पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस दौरान उनके साथ मौजूद रहे।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox