ब्रिटेन ने सबसे पहले दी कोरोना वैक्सीन को मंजूरी, भारत को करना होगा अभी इंतजार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
January 25, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

ब्रिटेन ने सबसे पहले दी कोरोना वैक्सीन को मंजूरी, भारत को करना होगा अभी इंतजार

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित ब्रिटेन ने बुधवार को फाइजर-बायोएनटेक द्वारा तैयार कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। ऐसे में भारत में भी इसके प्रयोग को लेकर लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन सुकून देने वाली इस खबर के बीच भारत के लिए चिंता की बात यह है कि इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -70 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है। बिना कोल्ड स्टोरेज की सुविधा के इस वैक्सीन को ट्रांसपोर्ट भी नहीं किया जा सकता है।
भारत में वर्तमान में इन सुविधाओं का अभाव है। इसके अलावा इस वैक्सीन की कीमत अधिक होना भी एक कारण है, जो भारत में इसके प्रयोग में बाधा बनेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पहले ही कह चुका है कि इस वैक्सीन के लिए कम विकसित देश तैयार नहीं हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कम विकसित देशों के पास वैक्सीन को स्टोर करने की सुविधा ही नहीं है, जिस कारण वहां पर इसका प्रयोग बहुत मुश्किल है। 
यूनिसेफ वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर जुटा हुआ है। दूसरी तरफ, कम विकसित देशों तक वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए यूनिसेफ खुद को तैयार करने में जुट गया है। यूनिसेफ ने लक्ष्य रखा है कि वह करीब एक अरब वैक्सीन और इससे जुड़ी चीजों के रख-रखाव को लेकर साजो-सामान तैयार करेगा। 
यूनिसेफ ने कहा था कि वह वैक्सीन के सामने आने पर हर देश तक इसे उपलब्ध कराने के लिए तैयारी करेगा। वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर जरूरी चीजों को खरीदने का काम भी जारी है। वैश्विक स्तर पर इस काम को तेज रफ्तार से अंजाम देने के लिए संगठन जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। हालांकि, इसके बाद भी डब्ल्यूएचओ की चिंता को नजरअंदाज करना मुश्किल है। 

विशेषज्ञों के भीतर भी वैक्सीन के प्रयोग को लेकर संशय बरकरार
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी फाइजर-बायोएनटेक द्वारा तैयार कोरोना वैक्सीन को लेकर चिंता जाहिर की है। गुलेरिया ने कहा कि भारत के ग्राणीण इलाकों में इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए संसाधन का अभाव है। इस कारण इस वैक्सीन का देश में प्रयोग काफी मुश्किल नजर आ रहा है। 
 
वैक्सीन कैसे काम करती है? 
ये एक नई तरह की एमआरएनए कोरोना वैक्सीन है, जिसमें महामारी के दौरान इकट्ठा किए कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड के छोटे टुकड़ों को इस्तेमाल किया गया है। कंपनी के अनुसार जेनेटिक कोड के छोटे टुकड़े शरीर के भीतर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं और कोविड-19 के खिलाफ शरीर को लड़ने के लिए तैयार करते हैं। इससे पहले तक मानव शरीर पर प्रयोग के लिए एमआरएनए वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी गई है। हालांकि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान लोगों को इस तरह की वैक्सीन के डोज दिए गए हैं।

वैक्सीन को मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। ये इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने और टी-सेल को सक्रिय कर संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए कहती हैं। इसके बाद अगर व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित होता है तो उसके शरीर में बनी एंटीबॉडी और टी-सेल वायरस से लड़ने में जुट जाती हैं। वैक्सीन को-70 डिग्री पर स्टोर करना होता है और इन्हें खास डिब्बों में पैक करना होता है।  

फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की कीमत कितनी है
ये वैक्सीन एमआरएनए टाइप की कोरोना वैक्सीन है। क्लिनिकल परीक्षण में यह मरीजों पर 95 फीसदी तक प्रभावी रही है। इस वैक्सीन को रखने के लिए -70 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। वैक्सीन को रेफ्रिजेरेटर के तापमान में पांच दिनों तक रखा जा सकता है। कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए इसकी दो खुराक की जरूरत होगी। दोनों खुराकों के बीच तीन सप्ताह का अंतर रहना चाहिए। वैक्सीन की प्रति खुराक की कीमत 15 डॉलर (लगभग 1,126 रुपये) है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox