
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- घर और परिवार को छोड़कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर डटे किसानों को पहले ही वार्ता से कम उम्मीदें थी। दो दिन बाद होने वाली मीटिंग से थोड़ी उम्मीदें जरूर हैं। लाखों किसानों की बात सरकार तक पहुंचाने पहुंचे यूनियन प्रतिनिधियों ने चाय से इनकार करते हुए उन्हें कहा कि सिंघु बॉर्डर पर खीर तैयार है। लाखों किसानों को ठंड में छोड़कर यहां चाय पीने नहीं, उनकी मांगे पूरी करें। किसानों ने साफ कर दिया कि इस मामले पर फैसला लिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। इसी बीच महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी किसानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
किसानों को था अंदेशा, करना पड़ेगा इंतजार
अपनी मांगों को लेकर सीमाओं पर इकट्ठा हुए किसानों ने पहले ही अपने लिए पूरी तैयारियां कर ली थी। किसानों को इस बात का अंदाजा था कि उनकी मांगों पर सुनवाई में वक्त लगेगा। मीटिंग के बाद बाहर निकले किसानों ने आरोप लगाया कि एक एक दिन छोड़कर मीटिंग का फैसला इसलिए लिया गया ताकि आंदोलन को कमजोर किया जा सके। किसान पहले ही छह महीने तक की तैयारी के साथ आए हैं। हरियाणा के किसानों के अलावा दिल्ली के संगठनों, खाप के अलावा दूसरे प्रदेशों के किसान भी लगातार पहुंच रहे हैं। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि आगे भी आंदोलन पर किसान डटे रहेंगे।
सरकार को मसले का करना होगा हल
भाकियू के वरिष्ठ नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। परसों फिर मीटिंग होगी। केंद्र सरकार को इस मसले का हल करना पड़ेगा। किसानों के साथ साथ अब जन साधारण भी इस आंदोलन में शामिल होने लगा है, जिसे कोई भी सरकार इंकार नहीं कर सकती है।
किसान पीछे हटने के लिए नहीं हैं तैयार
जोगिन्दर सिंह उग्राहा ने कहा कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। परसों होने वाली दोबारा बैठक से उम्मीदें हैं, लेकिन किसान अपनी मांगों से एक इंच भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि मीटिंग से उम्मीदें तो है, लेकिन मांगे पूरी होने तक किसानों का आंदोलन रुकेगा नहीं। किसानों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई राज्यों के किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहेगा।
सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
बलदेव सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से छोटी कमेटी बनाने का प्रस्ताव को भी किसानों ने इसे खारिज कर दिया है। सरकार इसे आंदोलन को लंबा करना चाहती है ताकि इसे कमजोर किया जा सके। उन्होंने शक जताते हुए कहा कि हो सकता है कि इस बीच आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जाए। सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए।
कानून रद्द करने की मांग
भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि बेनतीजा रही। परसों दोबारा मीटिंग होगी, लेकिन इसमें क्या निर्णय लिया जाएगा, फिलहाल कुछ नहीं कह नहीं कह सकते हैं। किसानों की मांग कृषि कानूनों को रद्द करने की है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
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