नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में अमर शहीद प. रामप्रसाद बिस्मिल का 123 वां जन्मोत्सव ऑनलाइन सौल्लास मनाया गया। इस मौके पर आर्य गुरुकुल नोएडा के आर्चाय डॉ जयेन्द्र ने कहा कि पं० रामप्रसाद बिस्मिल क्रांतिकारियों के सिरमौर रहे, उनसे प्रेरणा पाकर अनेकों स्वतंत्रता-आंदोलन से जुड़े। अशफाक उल्ला खां और बिस्मिल की दोस्ती जगजाहिर थी। एक कट्टर आर्य समाजी और एक कट्टर मुस्लिम, लेकिन राष्ट्र की बलिवेदी पर दोनों इकठ्ठे फांसी पर झूल गए इससे बड़ा सामाजिक समरसता का कोई ओर उदाहरण नहीं हो सकता। बिस्मिल ने देश की आजादी के लिए घर,परिवार सब छोड़ कर राष्ट्र के लिए सब कुछ होम कर दिया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों को इतिहास से विस्मृत करने का षडयंत्र किया गया और एक ही परिवार की पूजा अर्चना की गई , ष्उनकी तुर्बत पे नहीँ एक भी दिया,जिनके खून से जले थे चिरागे वतन।आज महकते हैं मकबरे उनके जिन्होंने बेचे थे शहीदों के कफनष्। अनिल आर्य ने जोर देकर कहा कि यदि आजादी की रक्षा करनी है तो नई पीढ़ी को उनके त्याग,समर्पण, बलिदान से परिचित करवाना ही होगा,नोजवानो को बिस्मिल की फांसी से तीन दिन पहले लिखी आत्म कथा अवश्य पढ़नी चाहिए।
एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा के निदेशक आनन्द चैहान ने कहा कि बिस्मिल की जीवनी पढ़ कर रोंगटे खड़े हो जाते है,वास्तव मे उनके जीवन चरित्र को पाठ्यक्रम में पढ़ाने की आवश्यकता है जिससे नयी पीढ़ी उनके बलिदान से परिचित हो सके। राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य महेन्द्र भाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र की वर्तमान व भावी पीढ़ी को देश भक्त बनाने,स्वतंत्रता के महत्व को समझने तथा राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए यह आवश्यक है कि उन राष्ट्र भक्त शहीदों व क्रांतिकारियों का जीवन चरित्र शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए हंसते हंसते अपना जीवन बलिदान कर दिया। पंडित रामप्रसाद बिस्मिल के जन्मदिवस पर आर्य समाज व केंद्रीय आर्य युवक परिषद की सरकार से यह ही पुरजोर मांग है।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आज के दौर में देश के युवाओं में बिस्मिल जैसे शहीदों का जीवन नयी ऊर्जा भरने का कार्य करेगा। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल एक महान् क्रांतिकारी, देशभक्त ही नहीं बल्कि एक उच्च कोटि के लेखक,कवि,शायर व साहित्यकार भी थे।इनकी लिखी हुई समस्त रचनाएँ बहुत ही जोशीली,क्रांतिकारी होती थी देशभक्ति भावना से ओतप्रोत इस अमर बलिदानी का जन्म ११ जून सन् १८९७ को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हुआ था। प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने उनके जीवन को अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। प्रवीन आर्या, कैप्टन अशोक गुलाटी (नोएडा), संगीता आर्या, विजय चैधरी के ओजस्वी गीतों ने उत्साह पैदा किया। श्ऱद्धांजलि सभा में प्रमुख रूप से राजेश मेंहदीरत्ता, धर्म पाल आर्य, विजय आर्य (मुंबई), ईश आर्य (हिसार), यशोवीर आर्य, डॉ कर्नल विपिन खेड़ा, ओम सपरा, अरुण आर्य, प्रेम सचदेवा एवं वीना वोहरा आदि उपस्थित रहे।
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