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    हरियाणा में अर्ध-सैनिक बलों के नाम पर बने कल्याण मंत्रालय की कार्यशैली पर एसोसिएशन ने उठाये सवाल

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन ने हरियाणा में अर्ध-सैनिक बलों के नाम पर अलग से बना कल्याण मंत्रालय की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि नाम अर्ध सैनिक कल्याण मंत्रालय लेकिन काम सिर्फ सेना के लिए तो इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है। उन्होने कहा कि हरियाणा सरकार ने जिस बोर्ड का गठन किया है उसमें अर्ध सैनिकों की समस्याओं का नही सिर्फ सेना के सैनिकों की समस्याऐं सुनी जाती है जिसके चलते लाखों पैरामिलिट्री फोर्स परिवार अपने आपकों को ठगा सा महसूस कर रहे है और सरकार पर अर्ध-सैनिक बलों के जवानों के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहे है।
    कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन ने कहा कि बड़े फक्र एवं सम्मान की बात कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा अपनी दूसरी पारी में अर्धसैनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों के भलाई संबंधित मसलों को सुलझाने, निपटाने व बलों के कल्याणार्थ हेतु योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए एक अलग से मंत्रालय का गठन किया है जिसका स्वतन्त्र प्रभार ओमप्रकाश यादव को सौंपा गया। हालांकि जिला स्तर पर गठन पहले ही कर दिया गया था।
    कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन हरियाणा द्वारा तकरीबन जिलों में पिछले 7-8 सालों में विभिन्न शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर जिला उपायुक्तों के माध्यम से ज्ञापन प्रस्तुत कर सरकार का इस गंभीर मुद्दे की तरफ ध्यान दिलाया गया जिसका परिणाम राज्य में अलग से अर्ध-सेनिक मंत्रालय के गठन के तोहफे से स्थाई निवास कर रहे अर्ध-सैनिकों के परिवारों में खुशी की लहर जोड़ना लाजिमी था।
    इस संबंध में महासचिव रणबीर सिंह ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कि उपरोक्त कल्याण बोर्ड में जब हमारे शहीद परिवार, विरांगनाएं , विधवाएं, सेवारत या सेवानिवृत अर्धसैनिक बलों के जवान अपने पैंशन, भलाई संबंधित मसलों या अन्य कठिनाइयों समस्याओं को लेकर उपरोक्त कल्याण बोर्ड में फरियाद करते हैं तो वहां बैठे कर्नल, कैप्टन का रटा रटाया एक ही जवाब होता है कि यहां सिर्फ सेना के मामले सुने व निपटाएं जाते हैं। तो यहां एक गंभीर सवाल बाए खड़ा है कि फिर हम वास्तविक सरहदों के चैकीदार जाएं कहां? ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि यह सेना-अर्ध-सैनिक कल्याण बोर्ड पैरामिलिट्री परिवारों के साथ सरासर छलावा है। हमने बराबर सरकार से ज्ञापनों व मुलाकातों के माध्यम से मांग किया कि जिला स्तर पर कार्यरत अर्ध सैनिक कल्याण बोर्ड में हमारे सुरक्षा बलों के सेवानिवृत हवलदारों,सुबेदारों, कम्पनी कमांडरों, कमांडेंटों को बोर्ड में शामिल किया जाए ताकि हमारे जवानों के मसलें, मुद्दे सुलझाएं जा सके उनके भी जिला स्तर पर रिकार्ड रखरखाव मैंनटेन किए जा सके कि जिले में कितने शहीद परिवार, विरांगनाएं , विधवाएं सेवारत एवं सेवानिवृत अर्धसैनिक बलों के परिवारों का लेखा जोखा तैयार हो सके।
    महासचिव इस विषय को लेकर हाल ही में 20 जुलाई को स्वयं मुख्यमंत्री आवास चंडीगढ़ में श्री बजाज कानूनी सलाहकार से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा गया। ओर उससे पहले भी 25 सितंबर 2018 में मुख्यमंत्री जी से मुलाकात कर भी गुहार लगा चुके हैं। बीते पुलवामा शहीदी दिवस के मौके पर माननीय अर्ध-सेनिक कल्याण मंत्री श्री ओमप्रकाश जी को यादव धर्मशाला नारनौल में इस विषय को लेकर ज्ञापन सौंपा गया एक नहीं तीन-तीन बार लेकिन वही ढाक के तीन पात। क्या ये उन शहीदों का अपमान है जिन्होंने देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
    आज पूरे देश में हल्ला हो रहा है कि सुशांत राजपूत की असामायिक मृत्यु की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर लेकिन पुलवामा में शहीद सीआरपीएफ जवानों की जांच की मांग कोई नहीं करता। महासचिव रणबीर सिंह ने चेतावनी दी कि अगर अर्ध-सेनिक बलों की जायज मांगे नहीं मानी गई तो हम फिर से हर जिलों व जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे।

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