रातोंरात नहीं बने कृषि कानून, फिर भी सिर झुकाकर-हाथ जोड़कर बात करने को तैयार- पीएम

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October 6, 2024

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रातोंरात नहीं बने कृषि कानून, फिर भी सिर झुकाकर-हाथ जोड़कर बात करने को तैयार- पीएम

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मप्र के किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर सिलसिलेवार ढंग से सरकार का पक्ष रखा और विपक्ष पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि ये कानून रातोंरात नहीं बने हैं। पिछले 22 सालों से हर सरकार ने इन पर विचार किया है। उन्होंने किसानों से अपील की कि यदि किसी को कोई आशंका है तो सिर झुकाकर और हाथ जोड़कर बात करने को तैयार हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि देशभर में किसानों ने नए कृषि सुधारों को न सिर्फ गले लगाया है बल्कि भ्रम फैलाने वालों को भी सिरे से नकार रहे हैं। जिन किसानों में अभी थोड़ी सी आशंका बची है उनसे मैं फिर से कहूंगा कि आप एक बार फिर से सोचिए। उन्होंने ने विपक्षी पार्टियों से निवेदन किया है कि कृपया सारा श्रेय अपने पास रखें। मैं किसानों की प्रगति चाहता हूं और खेती में आधुनिकता चाहता हूं।

फार्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों का समझौता
किसानों से सीधा संवाद करते हुए पीएम ने स्पष्ट किया कि फार्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों या उपज का समझौता होता है। जमीन किसान के ही पास रहती है, एग्रीमेंट और जमीन का कोई लेना-देना ही नहीं है।फार्मिंग एग्रीमेंट को लेकर बड़ा झूठ चल रहा है, जबकि हमारे देश में बरसों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है।

पंजाब सरकार ने मनाया था जश्न
पीएम ने बताया कि अभी किसी ने मुझे 8 मार्च 2019 के अखबार की एक रिपोर्ट भेजी है। इसमें पंजाब की कांग्रेस सरकार, किसानों और एक मल्टीनेशनल कंपनी के बीच 800 करोड़ रुपये के फार्मिंग एग्रीमेंट का जश्न मना रही है। पंजाब के किसान की खेती में ज्यादा निवेश हो, ये हमारी सरकार के लिए खुशी की ही बात है।

मंडियां बंद होने को लेकर फैलाया जा रहा है झूठ
उन्होंने सवाल किया कि एक और झूठ पफैलाया जा रहा है कि मंडियां बंद हो जाएंगी।जबकि सचाई यह है कि नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है? सच्चाई तो ये है कि हमारी सरकार एपीएमसी को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है। फिर ये एपीएमसी बंद किए जाने की बात कहां से आ गई। नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी। अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा।

एमएसपी पर किया जा रहा है गुमराह
समर्थन मूल्य प्रणाली यानी एमएसपी बंद करने की आशंका को लेकर पीएम मोदी ने किसानों से कहा कि जो लोग किसानों को न एमएसपी दे सके, न एमएसपी पर ढंग से खरीद सके, वो एमएसपी पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं। पीएम ने कहा कि 2014 से पहले के 5 साल में पिछली सरकार ने सिर्फ डेढ़ लाख टन दाल ही किसानों से खरीदी। जब साल 2014 में हमारी सरकार आई तो हमने नीति भी बदली और बड़े निर्णय भी लिए। हमारी सरकार ने किसानों से पहले की तुलना में 112 लाख टन दाल एमएसपी पर खरीदी। 2014 के समय को याद कीजिए, किस प्रकार देश में दालों का संकट था। देश में मचे हाहाकार के बीच दाल विदेशों से मंगाई जाती थी।

किसानों के खाते में पहुंचा ज्यादा पैसा
राजनीति के लिए किसानों का उपयोग करने वाले लोगों ने किसान के साथ क्या बर्ताव किया, इसका एक और उदाहरण है, दलहन की खेती। पिछली सरकार के पांच साल में किसानों को धान और गेहूं की एमएसपी पर खरीद के बदले 3 लाख 74 हजार करोड़ रुपए ही मिले थे। हमारी सरकार ने इतने ही साल में गेहूं और धान की खरीद करके किसानों को 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए हैं।यानी हमारी सरकार ने न सिर्फ एमएसपी में वृद्धि की, बल्कि ज्यादा मात्रा में किसानों से उनकी उपज को एमएसपी पर खरीदा है। इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ है कि किसानों के खाते में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा पहुंचा है।

हमारी सरकार समय-समय पर बढ़ाती है एमएसपी
पिछली सरकार ने अपने पांच साल में करीब पौने चार लाख टन तिलहन खरीदा था। हमारी सरकार ने अपने पांच साल में 56 लाख टन से ज्यादा डैच् पर खरीदा है। कहां पौने चार लाख और कहां 56 लाख। पिछली सरकार ने अपने पांच साल में किसानों से लगभग 1700 लाख टन धान खरीदा था। हमारी सरकार ने अपने पांच साल में 3000 लाख टन धान किसानों से एमएसपी पर खरीदा है।

ये इस बात का सबूत है कि हमारी सरकार एमएसपी समय-समय पर बढ़ाने को कितनी तवज्जो देती है, कितनी गंभीरता से लेती है। एमएसपी बढ़ाने के साथ ही सरकार का जोर इस बात पर भी रहा है कि ज्यादा से ज्यादा अनाज की खरीदारी एमएसपी पर की जाए।

पीएम मोदी के संबोधन की अन्य प्रमुख बातें…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, दुनिया के विकसित देशों में किसानों को मिल रही सुविधाओं को भारतीय किसानों को मुहैया कराने में देरी नहीं की जा सकती है। भारत में कृषि सेक्टर से पिछड़ापन दूर करने का प्रयास किया जा रहा है, इस कड़ी में भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।
पीएम मोदी ने कहा, विपक्ष ने आठ साल तक स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों की दबाकर रखा। हमारी सरकार ने कमेटी की सिफारिशें लागू कर किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश में अचानक भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने के खेल खेले जा रहे हैं। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किए जा रहे हैं। सरकार पूछ रही है कि आपको कानून के किस क्लोज में दिक्कत है, तो उन राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, कांग्रेस सरकारों के द्वारा की गई कर्जमाफी हमारे देश में किसानों के साथ धोखाधड़ी का सबसे बड़ा उदाहरण है। मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 10 दिनों के भीतर कर्जमाफी का वादा किया गया था, लेकिन कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ? ये कोई नहीं जानता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं विश्वास से कहता हूं कि हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं, उसमें अविश्वास का कारण नहीं है। इसमें झूठ के लिए कोई जगह नहीं है। पीएम मोदी ने कहा, नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। हमारी सरकार एपीएमसी को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर रही है। फिर ये एपीएमसी बंद किए जाने की बात कहां से आ गई।
पीएम मोदी ने कहा, मेरी इस बातों के बाद भी अगर किसी को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर, बहुत ही विनम्रता के साथ, देश के किसान के हित में, उनकी चिंता का निराकरण करने के लिए, हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं।

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