राष्ट्रीय वूशु चैंपियन के सामने पेट भरने की मजबूरी, कर रही मनरेगा में दिहाड़ी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

राष्ट्रीय वूशु चैंपियन के सामने पेट भरने की मजबूरी, कर रही मनरेगा में दिहाड़ी

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/रोहतक/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- गरीबी और पेट भरने की मजबूरी आखिर इंसान से क्या-क्या नही करा सकती। लाॅक डाउन के दौरान देश में आर्थिक मंदी व बेरोजगारी के चपेट में आये करोड़ों परिवारों का दर्द अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। रोहतक की तीन बार की आॅल इंडिया चैेपियन, 9 बार की राष्ट्रीय वूशु चैंपियन और 24 बार स्टेट चैंपियन रही शिक्षा अपने परिवार का पेट भरने की मजबूरी के चलते लाॅक डाउन में मनरेगा में दिहाड़ी करने को मजबूर है। जबकि यह वहीे खिलाड़ी है जिसने वूशु में हरियाणा को सबसे पहले गोल्ड मैडल दिलाया था। उस समय सब उसके साथ फोटो तो खिचवा रहे थे लेकिन उक्त खिलाड़ी को सरकार की तरफ से कभी कोई सम्मान नही मिला जिसकारण आज व मनरेगा व खेतों में मजदूरी करने को मजबूर है। कभी खेलों में जीते सैंकड़ों मैडल भी आज उसके किसी काम के नही है।
इस संबंध में शिक्षा के माता पिता का कहना है कि मजदूरी कर बेटी को पढ़ाने और चैंपियन बनाने तक का सफर तंग हालातों में हुआ था लेकिन उम्मीद यह भी थी कि सरकार उनकी सहायता करेंगी और बेटी को कम से कम नौकरी तो मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ तो पेट भरने के लिए मजबूरी में मनरेगा में दिहाड़ी करनी पड़ती है। वूशु खिलाड़ी का कहना है कि लॉकडाउन के चलते हालात तंग है इसलिए पेट भरने के लिए माता-पिता की सहायता करवाती हूं ताकि कुछ पैसे बन सके।
बेहतरीन खेल नीति का दम भरने वाली हरियाणा सरकार में राष्ट्रीय खिलाड़ियों की ऐसी अनदेखी होगी किसी ने नहीं सोचा था। रोहतक जिले के इंदरगढ़ गांव की रहने वाली राष्ट्रीय वूशु खिलाड़ी शिक्षा इन दिनों तंगी की हालत में मनरेगा में मजदूरी कर रही है। खुद की मनरेगा कॉपी ना बनने के कारण शिक्षा माता-पिता की सहायता करवाती है और 2 जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है। शिक्षा सुबह 6.00 बजे कंधों पर कस्सी रख़कर माता पिता के साथ मनरेगा में मजदूरी का काम करने जाती है और जी तोड़ मेहनत कर दो पैसों का इंतजाम करती है। लॉकडाउन के दौरान में सब कुछ बंद है काम धंधे ठप है ऐसे में सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा स्कीम के तहत मजदूरों का गुजारा हो रहा है। यही नहीं शिक्षा को जब मनरेगा में काम नहीं मिलता या मनरेगा का काम बंद हो जाता है तो खेत में काम करती है। शिक्षा दूसरे मजदूरों की तरह ही खेत में धान लगाने का काम करती है। इससे पहले भी माता-पिता ने दिहाड़ी मजदूरी कर बेटी को चैंपियन बनाया और इस मुकाम तक पहुंचाया है। शिक्षा तीन बार ऑल इंडिया 9 बार राष्ट्रीय चैंपियन और 24 बार स्टेट चैंपियन रह चुकी है। शिक्षा वूशु में हरियाणा में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी है। ऐसे में सरकार द्वारा शिक्षा की कोई सहायता नहीं की गई है जिसके बाद लॉकडाउन में शिक्षा मनरेगा में काम करने को मजबूर है।
वहीं दूसरी ओर वुशु खिलाड़ी का कहना है की सरकार की तरफ से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली इसलिए मजबूरी में दिहाड़ी का काम करना पड़ता है क्योंकि घर की माली हालत ठीक नहीं है शिक्षा ने कहा अगर सरकार मेरी सहायता करें तो मैं देश को गोल्ड लाकर दे सकती हूं। गौरतलब है कि राष्ट्रीय वूशु खिलाड़ी शिक्षा पहले स्कूल तो अब एमडीयू की तरफ से खेल रही है इस दौरान शिक्षा ने कई मेडल लिए हैं लेकिन शिक्षा की हालत और सरकार की अनदेखी के चलते निराधार है। शिक्षा एम्डीयू व पियू चंडीगढ़ में ऑल इंडिया खेल चुकी है तो दूसरी और झारखंड, रांची शिलांग, असम, मणिपुर, इंफाल, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी है। यही नहीं शिक्षा 24 बार स्टेट खेलकर गोल्ड जीत चुकी हैं।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox