नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यदि कोई वाहन सार्वजनिक स्थान पर उपयोग में नहीं आता है, तो उसके मालिक पर उस अवधि के लिए मोटर वाहन कर का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई वाहन सार्वजनिक स्थान पर उपयोग में नहीं आता है, तो उसके मालिक पर उस अवधि के लिए मोटर वाहन कर का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के दिसंबर 2024 के फैसले को चुनौती देने वाली एक अपील पर अपना फैसला सुनाया।
वाहनों पर नहीं लगेगा टैक्स
न्यायालय ने कहा कि मोटर वाहन कर प्रतिपूरक प्रकृति का होता है। मोटर वाहन कर लगाने का औचित्य यह है कि जो व्यक्ति सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, जैसे सड़क, राजमार्ग आदि का इस्तेमाल करता है तो उसे इसका भुगतान करना होगा। कोर्ट ने 29 अगस्त को दिए अपने फैसले में कहा कि अगर किसी मोटर वाहन का उपयोग सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया जाता है तो संबंधित व्यक्ति सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का फायदा नहीं ले रहा है। इसलिए उस पर ऐसी अवधि के लिए मोटर वाहन कर का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि आंध्र प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1963 की धारा 3 के तहत टैक्स लगाने का प्रावधान है और यह राज्य सरकार को मोटर वाहनों पर टैक्स लगाने का अधिकार देती है।


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