टीम इंडिया के पूर्व स्टार सलामी बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग ने एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा किया है। सहवाग ने बताया कि 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कॉमनवेल्थ बैंक त्रिकोणीय सीरीज़ के दौरान, जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शुरुआती कुछ मैचों के बाद उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया, तो उन्होंने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना लिया था। उस समय उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और लगातार टीम से बाहर रहने के कारण उन्हें लगा कि यदि वे प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बन सकते, तो वनडे क्रिकेट खेलने का कोई अर्थ नहीं है।
कमेंटेटर पद्मजीत सहरावत के यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान सहवाग ने बताया कि इस फैसले के बारे में उन्होंने सचिन तेंदुलकर से चर्चा की। सचिन ने उन्हें समझाया कि 1999-2000 में वे खुद भी ऐसे ही कठिन दौर से गुज़रे थे और संन्यास लेने का विचार कर रहे थे, लेकिन वह समय भी निकल गया। सचिन ने सहवाग को भावुक होकर फैसला न लेने और 1-2 सीरीज़ तक इंतज़ार करने की सलाह दी।
सहवाग ने बताया कि सचिन की सलाह ने उनके करियर की दिशा बदल दी। छह महीने बाद उन्होंने किटप्ले कप में वापसी की और तीन मैचों में 150 रन बनाए, जिसमें दो अर्धशतक शामिल थे। इसके बाद उनका प्रदर्शन लगातार बेहतर होता गया और 2011 वनडे वर्ल्ड कप में भारत की खिताबी जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। सहवाग ने 2012 तक धोनी की कप्तानी में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अंततः 20 अक्टूबर 2015 को क्रिकेट से संन्यास ले लिया।


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